MP Tourism News: पर्यटन के लिहाज से भारत एक समृद्ध देश है। हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में कई ऐसे रमणीय स्थल है जहां वर्षभर पर्यटकों का जमावड़ा देखा जाता है। धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में ऐसे कई स्थान है जो लोगों की आस्था का केंद्र है और पर्यटन की दृष्टि से उपयुक्त है।
उज्जैन एक ऐसी नगरी है जहां पर अनेकों धर्मगुरु, राजा और महंतों के सहयोग से सुंदर और आकर्षक अलौकिक धर्म स्थलों का निर्माण किया गया है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ प्राचीन और चमत्कारी मंदिरों के बारे में जानकारी देते हैं।
महाकालेश्वर
उज्जैन को बाबा महाकाल (Mahakal) की नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां पर स्थापित शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है और एकमात्र दक्षिण मुखी शिवलिंग है। हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पर अपनी आस्था लेकर पहुंचते हैं। हाल ही में यहां पर महाकाल लोग का निर्माण किया गया है। जिससे यहां की सुंदरता पहले से अधिक भव्य हो चुकी है। यहां पर भगवान शिव के विभिन्न रूपों से जुड़ी मूर्तियां स्थापित की गई है जो आकर्षण का केंद्र हैं।
महाकालेश्वर एक ही मंदिर प्रांगण में तीन खंडों में विभाजित है। निचली मंजिल पर महाकालेश्वर मध्य मंजिल पर ओमकारेश्वर और ऊपरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर विराजित है। महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर के दर्शन तो साल भर होते हैं लेकिन नागचंद्रेश्वर के पट साल में 1 दिन नागपंचमी के दिन खुलते हैं। यहां गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती, श्री गणेश और कार्तिकेय विराजित हैं।
कालभैरव
उज्जैन में तीन काल विराजित है महाकाल, काल भैरव, गढ़कालिका और अर्ध काल भैरव। अगर बाबा महाकाल का दर्शन किया जा रहा है तो इनके दर्शन करना जरूरी माना गया है। काल भैरव एक प्राचीन मंदिर है जहां पर भगवान भैरव की चमत्कारी प्रतिमा मौजूद है। विराजित प्रतिमा भक्तों द्वारा भोग के रूप में चढ़ाई गई शराब ग्रहण करती है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां इस चमत्कार को देखने के लिए पहुंचते हैं। यहां मौजूद पंडे पुजारी मदिरा से भरा हुआ पात्र मूर्ति के मुख पर लगाते हैं और देखते ही देखते ही पूरी तरीके से खाली हो जाता है। इस जगह पर पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई करके सबूत जुटाने के लिए तमाम तरीके के प्रयोग किए गए लेकिन इसका रहस्य आज भी किसी के सामने नहीं आ पाया है।
हरिद्धि माता मंदिर
उज्जैन में विराजित माता हरसिद्धि का मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। रुद्र सागर झील के पास स्थित यह मंदिर राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी मां हरसिद्धि का है जो चमत्कारी है। यहां माता हरसिद्धि के साथ लक्ष्मी और सरस्वती भी विराजित हैं। इस मंदिर में दो स्तंभ विराजित है जहां पर आरती के समय दीपक जलाए जाते हैं। नवरात्रि में इन दीप स्तंभ को प्रज्वलित करने के लिए साल भर पहले से बुकिंग शुरू हो जाती है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक माता सती ने अपने पिता दक्ष के द्वारा रखे गए अनुष्ठान में अपने पति महादेव के अपमान से आहत होकर अग्निकुंड में छलांग लगा दी थी। इस समय उनके देह को भगवान शिव लेकर जा रहे थे। ऐसे में जहां जहां माता के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। उज्जैन में माता की कोहनी गिरी थी और फिर यहां हरसिध्दि शक्ति पीठ स्थापित हुआ।
रामघाट
उज्जैन में शिप्रा नदी का रामघाट बहुत ही प्रसिद्ध जगह है। बड़ी संख्या में उज्जैन पहुंचने वाले श्रद्धालु शिप्रा जल से स्नान करने के बाद ही बाबा महाकाल के दर्शन करते हैं। शिप्रा मोक्षदायिनी है इसीलिए यहां स्नान का काफी महत्व है। रामघाट के तट पर सुबह से लेकर सूर्यास्त तक माता शिप्रा की आरती का आयोजन किया जाता है। यहां पर भगवान राम के साथ माता सीता और लक्ष्मण की प्रतिमा विराजित है। सिंहस्थ के समय शिप्रा का ये तट श्रद्धालुओं के हुजूम से भरा रहता है और अलग-अलग स्नान संपन्न होते हैं।