Neemuch News : हत्या की आशंका पर 5 माह बाद फिर से कब्र से निकाला मासूम का शव।

Gaurav Sharma
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नीमच,कमलेश सारडा। हत्या की आशंका पर एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहां पर पांच माह पहले दफनाए गए मासूम के शव को कब्र से फिर से पोस्टमार्टम के लिए निकाला गया। दरअसल नीमच जिले के मालखेड़ा के निवासी मजदूर परिवार जो कि जुलाई 2021 में मजदूरी करने के लिए भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ गया हुआ था। जब मजदूर मजदूरी करके  घर शाम को लौटे तो उनकी मासूम बेटी बेसुध पड़ी मिली थी जिसे मांडलगढ़ अस्पताल ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद रिती रिवाज के साथ पैतृक गांव नीमच के मालखेड़ा में मासूम को दफनाया गया।

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अब इस मामले में नया मोड़ सामने आने के बाद फिर से 5 माह बाद मासूम के शव को कब्र से निकाल कर जिला अस्पताल नीमच में पोस्टमार्टम करवाया गया जहां पर कोई सबूत नहीं मिले, और अब शाम को जांच के लिए भोपाल भेजा जाएगा। दरअसल मांडलगढ़ पुलिस के अधिकारी एसआई बलवीर खान ने बताया कि बालिका के परिजनों ने हत्या की शिकायत मांडलगढ़ थाने पर दर्ज कराई थी परिजनों की शिकायत पर मांडलगढ़ थाना जिला भीलवाड़ा में मुकदमा प्रकरण दर्ज किया है । समाज के ही एक युवक ने न्यायालय की शरण ली थी और परिजनों के कहने पर मासूम के साथ बलात्कार कर हत्या की आशंका जताई है जिस पर न्यायालय ने फिर से शव को कब्र से बाहर निकाल कर पोस्टमार्टम करने के आदेश दिए है। डॉक्टर और पुलिस के अनुसार शव को जांच के लिए भोपाल भेजा जा रहा है जिसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

 

 

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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