Neemuch News: मध्यप्रदेश के मालवा इलाके में अफीम को काली का रूप माना जाता है। इसके साथ ही अफीम को काला सोना कहा जाता है। वहीं, इस इलाके के किसानों के लिए अफीम की फसल बहुमूल्य फसल होती है। अफीम की खेती करने से किसानों को न सिर्फ अच्छा पैसा ही मिलता है बल्कि इसकी खेती करने वाले किसानों का समाज में रुतबा भी बढ़ता है। मालवा इलाके में मान्यता है कि जो किसान अफीम की खेती करता है उसका किसान समाज में एक अलग ही पहचान और एक अलग ही रुतबा होता है। हालांकि वर्तमान समय में मालवा इलाके के नीमच जिले में अफीम की खेती करने वाले किसान इस समय फसल को लेकर बेहद चिंतित है। दरअसल, इस समय अफीम खेती पर चोरों व तस्करों का खतरा मंडरा रहा है। जिसके लिए इलाके के किसान हाथों में लाठी, डंडा लिए रातों में पहरा दे रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से किसानो को अफीम के पट्टे दिए जाते है, अफीम की फसल तीन माह की होती है। इस फसल को किसान अपने बेटे से भी ज्यादा देखभाल करता है। वहीं, इस समय अफीम की फसल पूरी तरह से तैयार है। अफीम में डोडे आने के साथ-साथ इसकी चिराई का कार्य भी शुरू कर दिया गया है, जिसकी सुरक्षा के लिए किसान बहुत चिंतिंत हैं।
नवनियुक्त एसपी ने दिए निगरानी के निर्देश
जिले में पहले अफीम डोडा चोरी होने के दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं। वही घटना इस बार न दोहराने पाए इसके लिए किसान कड़ी सुरक्षा कर रहे है। आपको बता दें कि किसानों को नारकोटिक्स विभाग में अफीम के बारे में ग्राम-ग्राम का हिसाब देना पड़ता है। अगर औसत मान से किसानों की तरफ से नारकोटिक्स विभाग को अफीम कम दी जाती है तो किसानों का पट्टा भी कट सकता है, जिसके बाद फिर वो किसान कभी अफीम की खेती नहीं कर सकता है। फिलहाल अफीम की सुरक्षा को लेकर जिले के नवनियुक्त एसपी अंकित जायसवाल ने सभी थाना प्रभारियों को भी निगरानी के लिए निर्देश दिए हैं।
नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट