जावद के 15 साल, अस्पतालों के हाल ‘बेहाल’, भाजपा विधायक नहीं रख सके जख्मों पर मरहम

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जावद। किसी भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधी का प्रथम दायित्व होता है चुनाव में जनता से थोकबंद वोट लेने के बाद ज्यादा नहीं तो जनता की मूलभूत आवश्यकताएं पानी, सड़क, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य इत्यादि के लिए बेहतर प्रयास कर अपनी घोषणाओं को अमलीजामा पहनाना। किन्तु वर्तमान परिदृश्य खासकर मालवांचल के बहुचर्चित जावद विधानसभा के हालात तो कुछ ओर कहानी बयां कर रहे हैं और वो भी जब यहां से एक नहीं बल्कि तीन-तीन बार चुनाव जीतकर भाजपा के ओम प्रकाश सखलेचा के कामकाज को जब इस आंकलन पर परखा जाए तो ‘अफसोस‘ करने के साथ हालात शर्मनाक भी हो जाते है क्योंकि जावद क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय विरेन्द्र कुमार सखलेचा नाम से जाना पहचाना जाता है और स्वर्गीय सखलेचा जी की पूण्यायी है कि ओम सखलेचा को जावद की जनता ने 15 साल से सर आंखों पर बिठा रखा है। बावजूद इसके ‘ओम जी‘ तीन हजार करोड़ के विकास कार्यों का दम्भ तो भर रहे हैं किन्तु आपके गृह नगर जावद में चिकित्सा सेवाओं के हाल बेहाल हैं तो अपने पिताश्री के नाम पर तीस करोड़ के ‘स्व.सखलेचा मेमोरीयल अस्पताल‘ की बांट भी जावद की जनता जो रही है। आखिर 15 साल बाद भी जावद का सरकारी अस्पताल ‘रैफर‘ क्यों कहलाता है ? घाटा क्षेत्र में भी प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं की हालात बद्त्तर है, मजबूरन क्षेत्र के बीमार नीमच-उदयपुर जाकर महंगा इलाज झेलने को ना सिर्फ मजबूर है बल्कि कई मरीज तो तत्काल इलाज ना मिलने के कारण मौत की आगोश में जा चुके हैं। इसके उपरान्त भी इन चुनावों में बढ़ चढ़ कर ओम सखलेचा राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

खुद ‘इलाज‘ को मोहताज, मरीज तो क्या ‘मुर्दा‘ जाने भी डरें!


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