Neemuch News : मध्य प्रदेश शासन ने 2016 से पहले की अवैध कॉलोनियों को वैध करने व इसके बाद की कॉलोनियों पर सख्ती के आदेश जारी कर रखे हैं। इसके बाद भी जिले में अवैध कॉलोनियों का सिलसिला नहीं थम रहा है जावद विधान सभा क्षेत्र में तीन अवैध कॉलोनियों की जांच का प्रतिवेदन एसडीएम ने कलेक्टर को सौंपा। इसमें पहली बार कलेक्टर ने एक कॉलोनी को अवैध पाते हुए निर्माण तोड़ने व कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर के आदेश जारी किए। जांच प्रतिवेदन में तत्कालीन एसडीएम व नयागांव नगर परिषद के अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मामले में अधिकारी अब उसकी अलग से जांच कराने की बात कह रहे हैं। वहीं कॉलोनाइजर कलेक्टर के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट से स्टे ले आया है।
कॉलोनाइजर अवैध कॉलोनी काट देते हैं इससे आमजन को परेशान होना पड़ता है। इसकी रोकथाम के लिए मप्र शासन ने अवैध कॉलोनियों दंश झेल रहे हजारों लाखों लोगों को राहत देने के लिए 2016 से पहले की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया प्रारंभ की। 2021 में कॉलोनियों के नियम बनाकर सख्त कारवाई के आदेश जारी किए। इसके बाद भी अवैध कॉलोनियों का काम नहीं रुक रहा है।
2017 में कॉलोनाइजर ने काटी थी कॉलोनी
2016 से पहले की अवैध कॉलोनियों को वैध करेगा तब तक उतनी ही अवैध कॉलोनियां तैयार हो जाएगी। हालांकि इसकी रोकथाम के लिए जिले में पहली बार कलेक्टर ने अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर के आदेश जारी किए।
यह है पूरा मामला
इस कॉलोनी का 50 हजार का रजिस्ट्रीकरण शुल्क बनता है पर 5 हजार रुपए ही जमा करवाए गए हैं। नयागांव नगर परिषद में न्यू नेस्ट इंफ्रा भागीदारी फर्म का मामला सामने आया है। कॉलोनाइजर शिवनारायण पिता रामदयाल बेनीवाल निवासी ग्राम केशरपुरा-कलां तहसील जावद ने 2017 में अवैध कॉलोनी काट दी। जांच प्रतिवेदन में सामने आया कि कॉलोनाइजर ने नयागांव परिषद में जून 2017 को रजिस्ट्रीकरण शुल्क के 5 हजार रुपए जमा करवाए। जबकि नियमानुसार 50 हजार रुपए जमा करवाने थे। इस प्रकार शासन को 45 हजार की हानि हुई। कॉलोनाइजर ने आश्रय, विकास व अन्य शुल्क भी जमा नहीं करवाया है। इस पर कलेक्टर न्यायालय ने आदेश जारी कर मप्र नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 339-ग व मप्र नपा तथा संघोधित नियम के भाग-3 नियम 22 अनधिकृत कॉलोनियों के विकास के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में सीएमओ नयागांव को आदेशित किया कि वह अनधिकृत कॉलोनी में सभी चिह्नांकन और सभी प्रकार के निर्माण हटाने की कार्रवाई करें। इसके साथ ही संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध संबंधित पुलिस थाने में प्राथमिक सूचना दर्ज करवाएं।
नगर परिषद पर भी उठ रहे सवाल
कलेक्टर के आदेश में नगर परिषद में रजिस्ट्रीकरण का शुल्क 50 हजार जमा कराया जाना था लेकिन नगर परिषद में मात्र 5 हजार ही जमा किए। मामले में नगर परिषद ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में नगर परिषद के तत्कालीन अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि मात्र 5 हजार रजिस्ट्रीकरण का शुल्क किस आधार पर लिया गया।
स्टे मिला, हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे
कॉलोनाइजर शिवनारायण बेनीवाल ने कहा कि रजिस्ट्रेशन तत्कालीन एसडीएम से प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि नगर परिषद में जाकर इतने की फीस जमा करा दो और रसीद हमें लाकर दे दो। हमने अधिकारियों के कहे अनुसार काम किया। इसी आधार पर हाईकोर्ट से कलेक्टर के आदेश के खिलाफ स्टे लाए हैं। हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।
प्रकरण की जानकारी नहीं
नीमच कलेक्टर दिनेश जैन ने कहा कि प्रकरण की जानकारी नहीं है। पूर्व कलेक्टर आदेश कर गए हैं। प्रकरण देखने के बाद ही कुछ कह पाउंगा।
नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट