नीमच, कमलेश सारडा। सीएम शिवराज व एमपी पुलिस के लाख प्रयास के बाद भी नीमच (Neemuch) में नशे का कारोबार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। नीमच पुलिस की सभी विंग एक के बाद एक ऑपरेशन कर रही हैं और बदमाशों को मादक पदार्थों के साथ पकड़ भी रही है लेकिन अब जो चिंता पुलिस और समाज के लिए सबसे बड़ी है। क्योंकि नीमच जिला एमडी ड्रग्स के नशे में जगड़ता जा रहा है क्योंकि ये बहुत खतरनाक नशा है। नशा करने वाले लोग एमडी को कई नामों से जानते है। सामान्य सा दिखने वाला यह मादक पदार्थ इतना खतरनाक है कि एक दो बार इस का इस्तेमाल करने वाले को अपनी जद में ले लेता है। और जिसने एक बार इस का यूज कर लिया वह फिर इसे छोड़ नहीं पाता। यही कारण है कि एमडी नशे के सौदागर मिलने के बाद नीमच पुलिस को भी एक बड़ा झटका लगा है।
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अगर जानकारो की माने तो नीमच में इस एमडी ड्ग्स के काले कारोबार को फैलाने में सबसे बड़ा हाथ क्रिकेट सट्टा किंगो का रहा है क्योंकि ये ही वो लोग है जो अक्सर देश-विदेशी यात्राओं पर रहे है और वहां लग्जरी लाइफ के साथ हाईप्रोफाइल नशे का सेवन इन्होने किया है जिसकी चर्चा शहर में इनके लिये आम है ऐसे ही कुछ बड़े क्रिकेट के सट्टे कारोबारी है नीमच पुलिस व विभिन्न जांच एजेंसियों को इनके पासपोर्ट को जांच करना चाहिए ताकि हकिकत सामने आ सकें कि ये किन-किन देशो मे घुमने गये और वहां क्या अयाशी इन्होने की है वही अगर शहर के सबसे बड़े सट्टा किंगो की बाते करें तो चंडी, पीयूष मलासिया, सदाम, निक्कू, शादाब, सूरज, बिठ्ठल जैसे कई बड़े नाम है जो एमडी ड्रग्स के काले कारोबार को यहां फैला रहे है।
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जानकारो ने यहां तक बताया कि इनके लोग हर गली में मौजूद है एक फोन कॉल पर और कोर्डवर्ड में बोलने पर आपको एमडी सीधे उपलब्ध हो जायेंगी नीमच एवं इसके आस-पास के इलाकों में यह मादक पदार्थ एमडी 2500 से 3000 हजार रुपए प्रति ग्राम में बिक रहा है जो कोकीन के बाद सबसे महंगा है। युवा इसका सेवन विभिन्न वैरायटी के गुटखा के साथ कर रहे हैं। कुछ पानी में घोलकर भी पीते हैं यह क्रिस्टल जैसा होता है और घुलनशील है। नीमच में यह एमडी चुनिंदा दुकानों एवं होटलों कारों में कोडवर्ड से बिक रहा है।
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सूत्रो ने बताया कि सफेद मौत के सौदागरों ने इसे चावल का नाम दिया है। कोई भी इसे एमडी के नाम से नहीं देता। हां, चावल कहते ही मिल जाता है। अकेले नीमच शहर में इस एमडी की रोजाना की खपत 2 लाख रुपए से भी अधिक की बताई जा रही है, जिसको शहर के आठ-दस लोग ही मुख्य रूप से संचालित करते हैं। इन 8-10 लोगों के नीचे कई दुकानदार एवं होटल-ढाबा संचालक हैं जो इसकी बिक्री करते हैं। पुलिस की अब इन पर पैनी नजर है। पुलिस कार्रवाई की फिराक में है।