गांधी सागर डूब क्षेत्र में अवैध रेत खनन कर रही विशाल फाइटर मशीनें किसी टाइटेनिक जहाज से कम नहीं लग रही थीं। पानी की सतह पर खड़ी ये भारी-भरकम मशीनें इलाके में दहशत फैलाए हुए थीं। लेकिन शुक्रवार को जिला प्रशासन और खनिज विभाग की संयुक्त कार्रवाई में यह “टाइटेनिक” हमेशा के लिए डूब गया।
मनासा तहसील के कुकड़ेश्वर थाना क्षेत्र में दबिश के दौरान अधिकारियों ने अवैध खनन में लगी 8 फाइटर मशीनें जब्त कीं। इन्हें बाहर निकालना संभव नहीं था, इसलिए मौके पर ही गांधी सागर की लहरों में धकेलकर डुबो दिया गया। मशीनों का एक-एक करके डूबना ऐसा लग रहा था, मानो लोहे का टाइटेनिक जहाज अपनी आख़िरी यात्रा पर निकल पड़ा हो।
दृश्य जिसने सबको रोक दिया
स्थानीय लोगों की भीड़ इस दृश्य को देखने के लिए जमा हो गई। जैसे ही मशीनें पानी में समातीं, लहरें उफान मारतीं और हवा में गूंज उठता शोर। लोग दंग रह गए और बोले –“यह नज़ारा बिल्कुल टाइटेनिक फिल्म जैसा था, फर्क सिर्फ इतना कि यहां जहाज नहीं, माफियाओं की मशीनें डूब रही थीं।”
कप्तान बने अफसर, यात्री बने माफिया
इस पूरे ऑपरेशन की कमान एसडीएम किरण आंजना के हाथों में थी। उनके साथ तहसीलदार मुकेश निगम, मृगेंद्र सिसोदिया, नवीन छतरोले और खनिज विभाग की टीम मौजूद रही। अधिकारियों ने मशीनों को डुबोकर यह संदेश दिया कि जिस तरह टाइटेनिक का अंत हुआ था, वैसे ही माफियाओं की हिम्मत भी अब पानी में डूब जाएगी।
“वापस नहीं आएगा यह जहाज”
सहायक जिला खनिज अधिकारी गजेंद्र डाबर ने कहा कि यह कार्रवाई माफियाओं के लिए करारा सबक है। उन्होंने चेतावनी दी –“जिस तरह टाइटेनिक कभी दोबारा नहीं लौटा, वैसे ही अब ये मशीनें भी गांधी सागर की गहराइयों से बाहर नहीं आएंगी। जो भी अवैध खनन करेगा, उसका अंजाम भी यही होगा।” इस खबर का मैसेज यही है कि प्रशासन ने रेत माफियाओं की ताक़तवर मशीनों को टाइटेनिक जहाज की तरह डुबाकर उनके साम्राज्य को खत्म कर दिया।
नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट





