स्कूलों के बच्चों को दो साल से नहीं मिली यूनिफार्म, उसके बगैर स्कूल में पढ़ने को मजबूर

Amit Sengar
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नीमच, कमलेश सारडा। स्कूल खुले तीन महीने बीत गए उसके बाद भी स्कूली बच्चों को स्कूल ड्रेस नहीं मिल पाई। अब ऐसे में बात की जाए नीमच (Neemuch) जिले की तो यहां पर 916 सरकारी स्कूल है जिसमें मिडिल और प्राइमरी के बच्चे पढ़ते है। पूरे जिले में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 57140 के करीब है।

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बता दें कि नीमच जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर धनेरियाकला स्कूल एक परिसर एक शाला जहां कक्षा 1 से लगाकर 8वीं तक के बच्चे जून माह से पढ़ाई करने के लिए पहुँच रहे है। यहां पर करीब 150 बच्चे है इनमे से कई बच्चों ने स्कूल की ड्रेस नही पहनी हुई है। जब इस बारे में बच्चों व शिक्षकों से पूछा गया तो जवाब था कि कोरोना में बच्चों को ड्रेस नही मिल पाई। साल 2021-22 ओर 2022-23 की ड्रेस नही मिली है। इसलिए बच्चे बिना ड्रेस पहने ही स्कूल में पढ़ने आ रहे है।

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हालांकि इस बारे में शिक्षकों से भी बात की गई तो उनका कहना था कि बच्चों के खातों मे सीधे राज्य शिक्षा केंद्र से पैसे आते थे बाद में स्वसहायता समूह के माध्यम से गणवेश मिलती थी लेकिन 2 साल से नही मिल पा रही है। ऐसे में कुछ बच्चे तो पुरानी ड्रेस पहनकर आ रहे है या बिना स्कूल की ड्रेस के आ रहे है।

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इस पूरे मामले में प्रभारी डीपीसी प्रहलय उपाध्याय का कहना है बच्चों को दो यूनिफॉर्म लेट प्राप्त हुई तो जो अभी तक चल रही है इसके अलावा शासन से हमे पत्र प्राप्त हो गया है अब आगे की कार्रवाई की जायेगी।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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