दो दिन में SDM के दो आदेश, पहले में 12 दोषी दूसरे में 9, आख़िर ऐसा क्यों! पढ़िए ख़बर

सूत्रों का कहना है कि आरोपी पक्ष सत्ताधारी दल से जुड़े हो सकते हैं, इसलिए उनका नाम काटा गया होगा क्योंकि जो सामने दिख रहे हैं, उनके अलावा भी कई दूसरी और तीसरी पार्टी है, जिन्होंने जमीन खरीदी की है।

Sanjucta Pandit
Published on -
Neemuch Collector Office

Neemuch News : मध्य प्रदेश के नीमच जिले से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है, जब 7 नवंबर को SDM राजेश शाह द्वारा जारी पत्र में 12 लोगों को दोषी माना गया, लेकिन 8 नवंबर को जारी एक अन्य पत्र में दोषियों की संख्या घटकर 9 रह गई। जिनमें रानू ओझा, अनिल पाटीदार और घनश्याम मंडावरिया का नाम शामिल है, जिन्हें सूची से हटा दिए गए हैं। इससे शासन की भूमिका पर अब सवाल उठने लगे हैं।

जावद उपखंड के गांव बरखेड़ा कामलिया में हुए सरकारी जमीन घोटाले में दो दिन के अंदर 12 से 9 आरोपी हो गए। पहले पंचायत सचिव के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है, लेकिन बाकी आरोपियों के खिलाफ प्रशासनिक अधिकारियों की कार्रवाई को लेकर अपने ही आदेशों में संदिग्ध भूमिका में दिखाई दे रहे हैं।

जानें मामला

दरअसल, मामला बरखेड़ा कामलिया का है, जहां 17 हजार वर्ग फीट से अधिक सरकारी जमीन पर अवैध रूप से अलग-अलग भूखंड बनाकर पट्टा बनाया गया और व्यावसायिक लाभ कमाया गया। जिसकी शिकायत उमाशंकर द्वारा नीमच जिला प्रशासन से की गई, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई न होने पर बाद में इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की गई, जिससे हड़कंप मच गया। फिर आनन-फानन में तेजी के साथ कार्रवाई शुरू की गई। इसी बीच जारी पत्र से नाम हटाए जाने पर मामला चर्चा का विषय बन गया है।

बता दें कि मामले में अबतक केवल सचिव श्यामसुंदर पाटीदार को निलंबित किया गया है, जबकि सबसे संदेही भूमिका निभाने वाले सरपंच नरेश पाटीदार समेत अन्य दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में प्रशासन पर अब यह सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन ने किस दबाव में आकर तीन लोगों के नाम सूची से हटाए हैं।

राजनीतिक दबाव की आशंका

सूत्रों का कहना है कि आरोपी पक्ष सत्ताधारी दल से जुड़े हो सकते हैं, इसलिए उनका नाम काटा गया होगा क्योंकि जो सामने दिख रहे हैं, उनके अलावा भी कई दूसरी और तीसरी पार्टी है, जिन्होंने जमीन खरीदी की है। ऐसे में हो सकता है राजनीतिक दबाव के कारण कई लोगों के नाम हटाए गए हों। वहीं, मामले को लेकर कलेक्टर हिमांशु चंद्रा कहा कहना है कि जावद एसडीएम ने विवेचना के आधार पर आदेश जारी किए होंगे। इसलिए पूरी जानकारी एसडीएम ही बेहतर ढंग से बता पाएंगे।

SDM से सवाल-जवाब

जब पत्रकारों ने जावद एसडीएम राजेश शाह से सवाल किए तो उन्होंने अपने जवाब में यह जानकारी दी है। आइए जानते हैं यहां…

  • पहला सवाल उनसे यह किया गया कि 7 नवंबर को 12 लोग दोषी थे, अगले दिन 9 रह गए। क्या 1 दिन में तीन लोग निर्दोष हो गए? जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है मामले में सरकारी अधिवक्ता से राय ली गई, उनके सुझाव के आधार पर तीन लोगों के नाम हटाए हैं। इसके बावजूद, जनपद पंचायत सीईओ को अधिकृत किया है ताकि गवर्नमेंट अधिवक्ता से बात कर एफआईआर दर्ज कराई जा सके।
  • पत्रकारों के दूसरा सवाल यह था कि क्या पहले शासकीय अधिवक्ता से राय नहीं ली गई, जिसके जवाब में एसडीएम ने कहा कि पहले राय नहीं ली गई थी, लेकिन मामले की गंभीरता देखते हुए बाद में शासकीय अधिवक्ता से इसकी चर्चा की गई। जिसके आधार पर ऐसा किया गया है।
  • वहीं, अपने इस आदेश के बारे में वह क्या कहना चाहेंगे के सवाल पर एसडीएम ने कहा कि मैं कई आदेश जारी करता हूं, लेकिन इन आदेशों के लिए शासकीय अधिवक्ता से राय लेकर ही काम करना पड़ेगा, ताकि कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रख सके।
  • पत्रकारों द्वारा पूछे गए आखिरी सवाल कि दो अलग-अलग आदेश के पीछे क्या मकसद है, इसपर उनका कहना था कि इसके पीछे कोई खास मकसद नहीं है। इसलिए सरकारी वकील से सही जानकारी लेना जरूरी था।

नीमच, कमलेश सारडा


About Author
Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

Other Latest News