Neemuch News : पूरे मध्यप्रदेश में इन दिनों विकास यात्रा हो रही है। जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर बड़े- बड़े नेता सहित विधायक गांव- गांव पहुंच रहे हैं और जनता से रूबरू होकर उनकी बातों को सुन रहे हैं। वैसे देखा जाए तो विकास यात्रा की अगवानी खूब धूम-धड़ाके और डीजे के साथ तो हो रही है लेकिन यह उत्साह का माहौल केवल जनप्रतिनिधियों को उत्साहित कर सकता है। आम आदमियों से दूरी यह उन जनप्रतिनिधियों के लिए भी चिंता का विषय है। विकास यात्रा में भरपूर जनता का सहयोग मिल रहा है तथा जनता पूरी तरह प्रदेश सरकार के साथ है। आम जनता की बात करें तो डिकेन के कार्यक्रम में लगभग 5,000 लोग शामिल थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार के साथ आम आदमी जुड़ा हुआ है। पढ़िए ये खास रिपोर्ट…
प्रदेश सरकार के लिए अशुभ संकेत
पूरी विकास यात्रा के दौरान देखा जाए तो स्कूली छात्र- छात्राएं यात्रा की अगवानी बड़े हर्षोल्लास के साथ कर रहे हैं लेकिन इन सब में आम जनता दिखाई नहीं देती जो कि निश्चित रूप से प्रदेश सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता। कहीं-ना-कहीं आम जनता के मन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कार्यकलापों को लेकर मन में टीस है। अब उसका निराकरण समय पर नहीं हो पाया तो निश्चित रूप से यह वोट खिलाफ में जाने की संभावना बनी रहेगी।
नहीं हो रही कार्रवाई
प्रदेश भर में विकास यात्रा के नाम से सरकार और उसके नुमाइंदे गांव- गांव गली- गली जाकर अपनी सरकार का बखान कर रहे हैं और करें भी क्यों नहीं क्योंकि विगत 17 सालों में (15 महीने की सरकार को छोड़कर) वादे तो खूब हुए लेकिन धरातल पर काम कम ही हो पाया। विकास यात्रा के दौरान आम आदमियों को टटोलने की कोशिश की। उनका मानना है कि अब भ्रष्टाचार की बात तो बेईमानी हो गई है। भ्रष्टाचार पर चर्चा ही करना बेकार है भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार का रूप ले चुका है। लोकायुक्त के छापों के बाद भी कर्मचारियों पर नेताओं का वरदहस्त रहता है, जिसके कारण उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती।
स्थिति में नहीं कोई सुधार
नीमच जिले में कैबिनेट मंत्री के तौर पर लंबे समय बाद ताजपोशी हुई जिले वासियों को लगा की कैबिनेट मंत्री के कारण क्षेत्र में विकास की रफ्तार चार गुना होगी लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी स्थितियां जस की तस बनी हुई है। विकास की गाथा है तो बहुत की जाती है वादे भी बहुत लंबे होते हैं लेकिन यह वादे जनता को क्यों नहीं भा रहे हैं, यह सब समझ से परे है। स्थानीय सरपंच तथा नगर परिषद अध्यक्ष और उनके कार्यकलापों को लेकर भी विकास यात्रा में चर्चा होती है तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के उनके तानाशाही रवैया तथा अपनी मनमर्जी के चलते लोग खिलाफ में तो खुलकर नहीं बोलते लेकिन उसका असर जरूर विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।
नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट