पटाखें जलाने पर गृह मंत्री की हरी झंडी, सुरेंद्र शर्मा ने कहा- कलेक्टरों अपना आदेश अपनी जेब में रखो

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। देश भर में कल दीपावली का त्योहार धूम धाम से मनाया जाना है। पर इस बार कोरोना काल और वायु प्रदूषण के चलते देश के कई राज्यों में एनजीटी द्वारा पटाखें जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के कई जिलों में कलेक्टरों द्वारा कल एक आदेश जारी किया गया था जिसमें रात 8 बजे से लेकर रात 10 बजे तक ही पटाखें जलाने की अनुमति दी गई थी।

पटाखों पर लगे प्रतिबंध को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुरेंद्र शर्मा ने प्रदेश के मुख्या शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कलेक्टरों द्वारा जारी किए गए आदेश जिसमें पटाखें जलाने के लिए 2 घंटे की समय सीमा तय गई थी उससे निरस्त करने की मांग की थी। साथ ही सुरेंद्र शर्मा ने ट्विटर के जरिए भी सीएम शिवराज और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से कलेक्टरों के आदेश को निरस्त करने के लिए मांग की थी।

पटाखें जलाने पर गृह मंत्री की हरी झंडी, सुरेंद्र शर्मा ने कहा- कलेक्टरों अपना आदेश अपनी जेब में रखो

सुरेंद्र शर्मा द्वारा की गई मांग को संज्ञान में लेते हुए मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने कहा कि हमारा त्योहार है, हम धूमधाम से मनाएंगे खूब पटाखे जलाएंगे। जिसके बाद सुरेंद्र शर्मा ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद देते हुए कहा कि कलेक्टरों अपना आदेश अपनी जेब में रखो.. मध्य प्रदेश खुशियों को प्रदेश है, प्रदेश वासी खूब खुशियां मनाएं, खूब पटाखे चलाएं।

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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