छात्रों के लिए बड़ी खबर, स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि नहीं मिलेगा इस साल General Promotion

MP board

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कोरोना का प्रकोप (corona havoc) अभी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में बढ़ते हुए कोरोना मामले (corona cases) को देखकर लॉकडाउन को लेकर अटकले लगाई जा रही थी, जिससे आज मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह द्वारा साफ कर दिया गया। सीएम शिवराज ने कहा कि प्रदेश में अभी कोई लॉकडाउन (lockdown) नहीं लगाया जाएगा। वहीं प्रेदश के छात्रों के लिए एक बड़ी खबर है। मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, MPBSE  ने स्पष्ट रुप से कह दिया है कि इस साल छात्रों को कोई सामान्य पदोन्नति (general promotion) नहीं दी जाएगी। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Educational Minister Inder Singh Parmar) ने राज्य में सामान्य पदोन्नति ( General Promotion ) की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया है और कहा है कि सामान्य पदोन्नति ( General Promotion )की अनुमति से शिक्षा का स्तर प्रभावित होगा, जिसका असर बच्चों के भविष्य पर पड़ेगा।

आगे इंदर सिंह परमार ने प्रदेश के अन-एडेड प्राइवेट स्कूलों के एसोसिएशन और सीबीएसई स्कूलों के सहोदया ग्रुप के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए कहा कि राज्य जल्द ही कक्षा 9 से 12 के लिए स्कूलों को फिर से खोलने पर भी विचार कर रहा है। हालांकि,अभी तक स्कूलों को  दोबारा खोलने की तारीख तय नहीं की गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कक्षा 6 से 8 के लिए फिर स्कूल खोलने को लेकर चर्चा की जाएगी।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।