Petrol-Diesel Price : भोपाल में 91.59 रुपए प्रति लीटर हुआ पेट्रोल, लोगों के छूटे पसीने

Petrol Price

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देशभर में लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel Price) के भाव ने आम लोगों के बजट (Budget) को गड़बड़ा दिया है। भारतीय तेल कंपनियों (Indian Oil Companies) द्वारा पेट्रोल और डीजल के दामों  (Petrol-Diesel Price)  में बढ़ोतरी करने के चलते दिनों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है। भोपाल (Bhopal) में पेट्रोल (Petrol) की कीमत 91 रुपए और 59 पैसे रहा, वहीं अगर देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) की बात की जाए तो यहां 83 रुपए पेट्रोल की कीमत रही तो वही डीजल ₹73 रहा। ज्ञात हो कि बीते महीने से ही पेट्रोल और डीजल के दामों (Petrol-Diesel Price) में लगातार इजाफा किया जा रहा है। अब तक पेट्रोल 3 रुपए महंगा हुआ है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दामों में बढ़ोतरी हुई है।

बता दे रविवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Petroleum Minister Dharmendra Pradhan) द्वारा कहा गया था कि अगर कच्चा तेल (Crude oil) निर्यात (Export) करने वाले देश निर्यात को बढ़ाते हैं तो कीमतों में बदलाव आ सकता है। पेट्रोल निर्यात करने वाले देशों के संगठन द्वारा कहा गया है कि कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाएंगे, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन आने के बाद से दुनिया भर में इंधन की कीमत में बढ़ोतरी देखी जाएगी। अगर मौजूदा गति ऐसी ही बनी रही तो पेट्रोल रिकॉर्ड स्तर पर महंगा हो सकता है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।