मध्य प्रदेश के इन 2 पवित्र स्थलों पर करें पिंडदान, पूर्वजों को मिलेगी मोक्ष की सुखद प्राप्ति

मध्य प्रदेश में पिंडदान करने के लिए दो पवित्र स्थल बेहद महत्वपूर्ण हैं। यहां के जल में पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

भावना चौबे
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Pitru Paksha 2024

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करना एक महत्वपूर्ण और शुभ कार्य माना जाता है, जो व्यक्ति के पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है। पितृपक्ष के दौरान लोग विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान करते हैं ताकि अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

जब पिंडदान करने की बात आती है, तो आमतौर पर वाराणसी, गया, द्वारका, प्रयागराज और मथुरा जैसे स्थलों का नाम लिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश में भी दो विशेष स्थान है जहां पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिन स्थानों के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। यह स्थान धार्मिक और पौराणिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।

उज्जैन (Ujjain)

मध्य प्रदेश में पिंडदान के लिए उज्जैन शहर को प्रमुख स्थान माना जाता है। खासतौर पर उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के कारण। महाकालेश्वर मंदिर जो भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। पितृपक्ष के दौरान इस पवित्र स्थल पर हर दिन हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिए आते हैं जिससे यहां एक आदितियीय धार्मिक वातावरण बनता है।

उज्जैन को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या यहां हर साल बढ़ती जा रही है। शिप्रा नदी के किनारे यह क्रिया करने से न केवल पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। बल्कि आत्मिक शांति भी मिलती है। जिससे यह स्थल पिंडदान के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन गया है।

ओंकारेश्वर (Omkareshwar)

मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक स्थित है। यह शहर नर्मदा नदी के तट पर बसा हुआ है जो भारत की एक पवित्र नदी मानी जाती है। पितृ पक्ष के दौरान यहां पिंडदान करने के लिए हजारों श्रद्धालु नर्मदा के किनारे पहुंचते हैं।

यहां विशेष रूप से गया शीला तीर्थ स्थल पर पिंडदान करने की परंपरा को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मानता है कि यहां पिंडदान करने से श्रद्धालुओं के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी तरह ओंकारेश्वर में पिंडदान करना न केवल धार्मिक कर्तव्य है  यह आत्मिक शांति का माध्यम भी है।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।

 


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भावना चौबे

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