आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर किसानों का प्रदर्शन, सौंपा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कृषि कानूनों (Agricultural Laws) को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) के सात महीने पूरे होने पर शनिवार को ग्वालियर में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने विरोध दर्ज कराते हुए संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति (Presidant ऑफ़ India) के नाम ज्ञापन सौंपा।  किसान नेताओं (Farmer Leaders) ने चेतावनी दी कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाते तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM)  के बैनर तले ग्वालियर में सैकड़ों की संख्या में फूलबाग क्षेत्र में इकठ्ठा हुए।  अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर ग्वालियर और इसके आसपास से आये किसानों ने फूलबाग से मोतीमहल संभाग आयुक्त कार्यालय तक पैदल मार्च करते हुए प्रदर्शन किया।

मोतीमहल क्षेत्र में आयोजित सभा में सीटू जिला अध्यक्ष एवं किसान नेता अखिलेश यादव ने कहा कि 26 जून को किसान आन्दोलन के सात माह पूरे हो गये, किसानों ने सर्दी, गर्मी, सडक पर निकाल दी, 500 से ज्यादा किसान दिल्ली के बाडर्स पर शहीद हो गये, लेकिन देश के प्रधानमंत्री का दिल किसानों के लिए नहीं पिघल रहा है इससे स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार और कारपोरेट घरानों की कितनी गहरी साठगांठ है।

आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर किसानों का प्रदर्शन, सौंपा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

किसान नेता अलबेल सिंह राणा ने कहा कि जब तक कानून वापस नहीं होते दिल्ली के किसानों के साथ ग्वालियर जिले का किसान भी एकजुटता प्रदर्शित करेगा एवं गांव गांव में अलख जगाया जायेगा। चूँकि 1975 में लगाई गयी इमेरजेंसी के भी 46 वर्ष पूर्ण हो रहें है इतिहास गवाह है कि तानाशाही भारत में सभी भी बर्दाश्त नही की गई और मोदी सरकार के खिलाफ भी निर्णायक लड़ाई लड़ी जायेगी।

सभा को मजदूर कर्मचारी नेता रामविलास गोस्वामी, पीपी शर्मा, हरेन्द्र कंषाना, अशोक पाठक, रामबाबू जाटव, पूरन सिंह राणा, तलविंदर सिंह, सिद्वेश्वर शर्मा के अलावा ट्रेड यूनियन के नेताओं ने भी सम्बोधित किया। सभा के बाद जिला पंचायत सीईओ किशोर कान्याल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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