कुएं में डूबने से तीन नाबालिग बच्चों की मौत, सीएम ने जताया शोक

Amit Sengar
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Hiran river drowned

रायसेन,डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के रायसेन (raisen) जिले के सुलतानगंज थाना क्षेत्र में तीन नाबालिग बच्चों की कुएं में डूबने से मौत हो गई, इस घटना के बाद इलाके में मातम सा पसर गया, वहीं परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है।

दरअसल, सुलतानगंज थाना क्षेत्र के ग्राम गोरखा मैं खेत में बने कुएं में तीन नाबालिग बच्चे जिनमें मिलन बैरागी 16 वर्ष, आशीष उर्फ दीपक बैरागी 14 वर्ष, एवं पृथ्वीराज आदिवासी 12 वर्ष यह तीनों खेत में बने कुएं में नहाने गए थे, उसी दौरान पानी में डूब गए, जिससे तीनों की मौत हो गई। जब बच्चे घर नहीं पहुंचे तो परिवार जनों को बच्चों की याद आई, जिसके चलते परिवार के लोग ढूंढते ढूंढते खेत तक पहुंचे, यहां खेत में बने कुएं के बाहर बच्चों के कपड़े दिखाई दिए परिवार को आशंका हुई की बच्चे कुएं में है उसी दौरान नीचे देखा तो मंजर कुछ और था जिसके बाद गोताखोरों को मौके पर बुलाकर पानी में जाकर देखा तो तीनों बच्चों के शव डूबे हुए थे।

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ग्रामीणों की मदद से तीनों बच्चों के शवों को बाहर निकाला गया जानकारी लगते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची और मार्ग कायम कर तीनों बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, वहीं इस घटना के बाद इलाके में मातम सा पसर गया और परिवार के लोगों का रो रो कर बुरा हाल है, इस तरीके की घटना कोई आम नहीं है, पहले भी ऐसे हादसे होते रहे कहीं ना कहीं परिवार जनों की अनदेखी के कारण ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, क्योंकि कई बार बच्चे आपकी दोस्ती में ऐसी जगह चले जाते हैं जहां कोई घटना घट जाती है परिजनों को भी अपने बच्चों को लेकर थोड़ी सी जिम्मेदारियां बरतनी होगी जिससे ऐसी घटनाओं में कुछ कमी आए।

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सीएम ने ट्वीट कर शोक जताया लिखा कि रायसेन जिले में सुल्तानगंज के गोरखा गांव में कुएं में डूबकर तीन बच्चों की मौत की खबर अत्यंत पीड़ादायक, ह्रदय द्रवित करने वाली है। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। शोकाकुल परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।

 


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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