Ratlam Triple Talaq: पति ने डाक के जरिए भेजे तीन बार तलाक के कागजात, पुलिस ने दर्ज किया मामला

पुलिस के सामने पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराते हुए तलाक के तीनों पत्रों को पेश किया। इसके साथ ही महिला ने बताया कि उसके पति ने दहेज का केस दर्ज होने के बाद पोस्ट ऑफिस के जरिए तीन बार तलाक के कागजात को भेजा है।

Shashank Baranwal
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Ratlam News: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में तीन तलाक का मामला सामने आया है, जहां उज्जैन जिले के रहने वाले अपनी पत्नी को डाक के माध्यम से तीन पत्र भिजवाकर तलाक दे दिया है। हालांकि पीड़िता की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुस्लिम महिला (विवाह) अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

2020 में हुई शादी

दरअसल, मामला रतलाम जिले के अलोट का बताया जा रहा है, जहां आरोपी ईशान सतानिया, जोकि उज्जैन के घोंसला का रहने वाला है। उसने डाक के जरिए पत्र भेजकर अपनी पत्नी को तलाक दे दिया है। वहीं, पुलिस के मुताबिक पीड़िता मुस्कान ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि 20 नवंबर साल 2020 को उसकी शादी उज्जैन के घोंसला निवासी ईशान से हुई थी। हालांकि शादी के कुछ समय बीत जाने के बाद से ही उसको दहेज को लेकर पति और ससुराल वालों ने परेशान करना शुरू कर दिया था। जिसके बाद से वह अपने पिता के घर में रहने लगी थी। इस दौरान पीड़िता ने दहेज उत्पीड़न के मामले में अलोट थाना में अपने ससुराल वालों के खिलाप मामला दर्ज कराया था।

डाक के जरिए भेजा तलाक के कागज

इसके अलावा पुलिस के सामने पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराते हुए तलाक के तीनों पत्रों को पेश किया। इसके साथ ही महिला ने बताया कि उसके पति ने दहेज का केस दर्ज होने के बाद पोस्ट ऑफिस के जरिए 28 फरवरी 2024 को तलाक का पहला पत्र भेजा। वहीं दूसरा पत्र 2 अप्रैल 2024 को भेजा गया। इसके अलावा तीसरा पत्र 8 मई 2024 को भेजा गया। फिलहाल, पुलिस ने पीड़ित महिला की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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