रतलाम ,सुशील खरे। स्टेट हाईवे रतलाम (State Highway Ratlam) से लेबड़ के बीच खस्ताहाल फोरलेन की हालत देख उच्च न्यायालय इंदौर (High Court Indore) ने टोल वसूली पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद टोल कंपनी को सड़क की दोनों साइडों की मरम्मत करने के निर्देश दिए थे। लेकिन कंपनी द्वारा निर्देश का पालन नहीं करने के कारण MPRDC (Madhya Pradesh Road Development Corporation) केअधिकारियों ने रविवार सुबह चिकलिया टोल पर निलंबन (suspension) की कार्रवाई की।
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गौरतलब है कि, स्टेट हाइवे पर सड़कों के निर्माण के बाद टोल नाकों पर वसूली तो की जाती है। लेकिन उसके बदले नियमानुसार सड़कों का मेंटेनेंस भी किया जाना आवश्यक होता है। लेकिन यहां रतलाम हाईवे पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। यह शर्तें अनुबंध के समय भी तय की जाती हैं। लेकिन उसके बाद भी काम नहीं किया जाता है। जिससे सड़क दुर्घटनाएं (road accidents) होती हैं। इस संबंध में हाइकोर्ट में लगी एक याचिका (Petition) के बाद हाइकोर्ट ने 12 अक्टूबर 2020 को एमपीआरडीसी को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। जिसके चलते हाइकोर्ट के आदेश के बाद रविवार की सुबह 8 बजे कंपनी को सस्पेंड (Suspend) करते हुए टोल अधिकारीयों द्वारा अपने कब्जे में लिया गया।
बता दें कि ,इस कार्रवाई के बाद टोल से करीब 1 घंटे तक कई वाहन फ्री में निकले। एमपीआरडीसी के संभागीय प्रबंधक (Divisional manager) सुरेश कुमार मनवानी ने बताया कि, चिकलिया टोल (Chikaliya Toll) पर कंपनी की परफॉर्मेंस सही नहीं थी। जिसकी वजह से निलंबन की कार्रवाई की है। मनवानी ने आगे बताया कि अभी सिर्फ संस्पेशन की कार्रवाई हुई है और कंपनी को 180 दिन का समय दिया गया है। इसमें अगर कंपनी द्वारा अपनी सेवाएं बेहतर कर और सभी शिकायतों का समाधान किया जाता है, तो कंपनी को पुनः टोल संचालन के लिए मिल सकता है। वही अगर कंपनी इन 180 दिनों में समस्याओं का समाधान नहीं कर पाती है तो बर्खास्त की कार्रवाई की जायेगी। कंपनी पर अब तक 2 करोड़ का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। सागर-दमोह (Sagar-Damoh) एवं महू-घाटा (mahu-ghata) बिल्लोद टोल को टर्मिनेट (terminate) करने की भी कार्रवाई एमपीआरडीसी ने की है। इस कार्यवाई से टोल पर कार्यरत कर्मचारियों में नौकरी जाने का भय उत्पन्न हो गया और उन्होंने काम बंद कर दिया। जिससे कुछ समय के लिए टोल नाका फ्री फॉर ऑल हो गया था। टोल पर हुई इस उठापटक में टोल कुछ समय के लिए फ्री रहा और सैकड़ों वाहन बिना टोल टैक्स चुकाए निकले। इसके बाद अधिकारियों ने कर्मचारियों को समझा कर फिर से काम पर लगाया और वसूली की कार्रवाई फिर से शुरू हो पाई।
बता दें कि ,अभिभाषक प्रशांत ग्वालियरी (Prashant Gwaliori) ने टोल वसूली बंद करने की मांग की थी। लेकिन जब अफसरों ने कोई सुनवाई नहीं की तो उन्होंने हाई कोर्ट इंदौर में जनहित याचिका लगाई थी। ग्वालियरी का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद एमपीआरडीसी ने कार्रवाई तो की है पर अभी भी खराब सड़को पर टोल टैक्स लिया जा रहा है। जब तक सड़के ठीक नहीं होती तब तक के लिए टोल टैक्स नहीं लेना चाहिए या टोल टैक्स आधा करना चाहिए।
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