रतलाम, डेस्क रिपोर्ट मध्य प्रदेश (madhya pradesh) से भ्रष्टाचार (Corruption) को साफ करने के लिए बड़ी संख्या में कार्रवाई की जा रही है। वहीं अब इस भ्रष्टाचार मामले में पुलिसकर्मी भी शामिल हो गए है। जिसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत टीआई (TI) और सहयोगी आरक्षक को 4 साल के लिए जेल भेज दिया गया है।
दरअसल मामला रतलाम जिले का है। विशेष न्यायालय द्वारा बुधवार को रिश्वत लेने के आरोप में पिपलोदा के तत्कालीन थाना प्रभारी नरेंद्र गोमें और सहयोगी आरक्षक रमेश सुलिया को सश्रम 4 साल कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके बाद दोनों को जेल भेज दिया गया।
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ज्ञात हो कि 13 फरवरी 2015 को छगनलाल पाठक ने लोकायुक्त एसपी उज्जैन को शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि पिपलोदा थाने में लड़की के अपहरण का मामला उनके पुत्र सतीश पाठक के खिलाफ दर्ज है। जबकि लड़की बालिक है। इसके बाद संजय पाठक को अग्रिम चुनाव जमानत दे दी गई थी। हालांकि इस प्रकरण के बाद टीआई नरेंद्र को गोमें लड़की का बयान कराने और सतीश पाठक के खिलाफ दर्ज केस को खत्म करने के लिए रिश्वत की मांग की थी।
वही शिकायत के बाद लोकायुक्त टीम ने 18 फरवरी को पिपलोदा पहुंचकर टीआई नरेंद्र गोमे को सहायक आरक्षक रमेश सुलिया के साथ रंगे हाथ पकड़ा। इसके बाद यह मामला न्यायालय पहुंच गया था। इस मामले में अब न्यायालय ने टीआई को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही टीआई पर 3 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है। जबकि आरक्षक रमेश सुलिया को 3000 रुपए जुर्माने के साथ 4 वर्ष की सजा और धारा 201 के मामले में 1 वर्ष की सजा के साथ 1000 का जुर्माना लगाया गया है।