Civil Hospital Jaora : योजना बनाना बेशक सरकार का काम हो सकता है लेकिन योजनाओं का सही क्रियान्वयन अधिकारियों के द्वारा ही किया जाता है। लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब अधिकारी वाकई में जनता को उस योजना का लाभ लेने देना चाहता हो। केवल कागजों में चलने वाली योजनाएं कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है।
मध्य प्रदेश सरकार और इसके मुखिया शिवराज सिंह चौहान बीते कई वर्षों से खासतौर पर कोरोना के समय से मध्य प्रदेश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के ऊपर काफी ध्यान और पैसा खर्च कर रहे हैं। क्योंकि निश्चित तौर पर सरकार अब हर परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहती है। लेकिन जावरा के सिविल अस्पताल को देखकर ऐसा लगता है मानो यह चिल्ला चिल्ला कर कह रहा हो “प्रभु राम मेरी मदद करो”।
इस बात की जानकारी हमें तब लगी जब फेसबुक पर प्रतीक चौरडिया नाम के एक शख्स ने जावरा के सिविल अस्पताल की जर्जर हालत के बारे में बताया। प्रतीक ने अपने फेसबुक टाइमलाइन पर सिविल अस्पताल की जर्जर स्थिति के बारे में बताया।
आपको बता दें प्रतीक जावरा के ही रहने वाले हैं और उनका पूरा बचपन यही बीता है। कुछ समय पहले अपने काम के सिलसिले में प्रतीक बाहर शिफ्ट हो गए। कल वह निजी कारणों से अपने शहर वापस आए और आज इमरजेंसी सिचुएशन में अपने एक करीबी रिश्तेदार को अस्पताल में ईसीजी के लिए लेकर गए तब वहां मौजूद ऑपरेटर ने उनसे कहा “प्रिंटआउट नहीं निकल पाएगा आप फोटो खींच लीजिए”। जब प्रतीक ने उनसे कहा कि मैं फोटो कैसे दिखाऊंगा डॉक्टर को तो उसका कहना था डॉक्टर साहब तो देख लेंगे।
इसके बाद जब हमने प्रतीक से अभी कुछ देर पहले बात करी तब उन्होंने हमें बताया कि ना केवल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है बल्कि साफ तौर पर भ्रष्टाचार भी देखने को मिल रहा है। ECG का प्रिंट निकालने के लिए ना अस्पताल में कागज है और जब सवाल करो तो नर्स कहती हैं कि आप क्यों बवाल मचा रहे हैं कह तो दिया कागज नहीं है। इसके अलावा प्रतीक ने बताया कि अस्पताल के बोर्ड पर लगा मरीजों को दिया जाने वाला खाने का चार्ट भी मात्र एक तस्वीर है। वह सुबह से अस्पताल में है पर न तो मरीज को ख़ाना चार्ट के अनुरूप दिया गया और दिन की दर्शायी हुई चाय बिस्किट तो दी ही नहीं गई । निश्चित तौर पर यह अस्पताल प्रबंधन और कैंटीन ठेकेदार की मिलीभगत और भ्रष्टाचार के बारे में बताता है।
निश्चित तौर पर जो हालात आज प्रतीक द्वारा देखे गए हैं वह नजर अंदाज करने लायक नहीं है। H3N2 वायरस तेजी से फैल रहा है और ऐसे में अस्पताल की ऐसी स्थिति निश्चित तौर पर सरकार के लिए गंभीरता से विचार करने लायक बात है।