Ratlam : पुल के आभाव में जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है कालबेलिया बस्ती के ग्रामीण, प्रशासन बेसुध

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रतलाम, डेस्क रिपोर्ट। राशन दुकान से अपने घर तक अनाज लेकर आना, खाली गैस टंकी को बदलवाना, बीमार होने पर स्वास्थ केंद्र तक जाना, जिले में कुछ लोगों के लिए ये सामान्य कार्य नहीं, जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष है। दरअसल ऐसी ही जिदंगी है रतलाम (Ratlam) के जावरा विधानसभा (Javra Assembly) क्षेत्र की पिपलौदा तहसील के ग्राम नांदलेटा की कालबेलिया बस्ती (Kalbelia Basti) की। गांव से करीब डेढ़ से किलोमीटर दूरी पर मलेनी नदी के पार कालबेलिया बस्ती में करीब 250 की आबादी है। नदी पर आज तक पुलिया नहीं बनी है। हालांकि घोषणाएं दर्जनों बार हुई। पिछले लोकसभा चुनाव में भी सासंद सुधीर गुप्ता ने पुलिया निर्माण शीघ्र से शीघ्र प्रारंभ करवाने का आश्वसान दिया था, लेकिन अभी तक इसपर फाइल आगे भी नहीं बढ़ी है। इसके चलते बारिश में लोगों को हर छोटे-बड़े कार्य के लिए उफनती मलेनी पार करनी पड़ रही है। यहां पर नदी का बहाव भी तेज होता है जिसके कारण पहले भी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

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कालबेलिया बस्ती में रहने वाले बताते हैं कि गांव में जब से उन्होंने या उनके पिता ने जन्म लिया तभी से पुलिया की मांग सुनते और करते आ रहे हैं। कालबेलिया बस्ती में 50-60 परिवार रहते हैं वो बारिश में गांव से कट जाते हैं। ऐसे में राशन दुकान, प्राथमिक स्वास्थ केंद्र, बाजार, बस स्टैंड, दुकान आदि कहीं भी जाना हो, उन्हें नदी पार करनी पड़ती है। खासकर बारिश के दिनों में जब नदी उफान पर होती हैं तो मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है। गुड्डानाथ, रतननाथ, कारूनाथ, विक्रमनाथ, जितेंद्रनाथ आदि बताते हैं कि खाने का सामान, दूध, राशन, गैंस टंकी लानी हो या कोई भी काम हो बहुत समस्या है। दूसरा रास्ता पास के गांव भैंसाडाबर होकर वापस नांदलेटा आने का है, जिसमें 8-10 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। अधिकांश निवासी बेहद गरीब और सभी के सभी दैनिक मजदूरी करने वाले हैं। ऐसे में बच्चों, महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक हर रोज जोखिम ले रहे हैं।

कार्यकर्ताओं, गर्भवतियों, शिक्षकों को पीड़ा
कालबेलिया बस्ती में गांव का प्राथमिक स्कूल और एक आंगनवाड़ी है, हालांकि इस साल दोनों में बच्चे नहीं आ रहे हैं। परंतु यहां हर रोज परीक्षा शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकतार्ओं की हो रही है जिन्हें नदी की उफनती धारा पार करके अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है। वे लोग अपने अपने विभाग और गांव की पंचायत से कई सालों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन नतीजा आज तक नहीं मिला। इसी बस्ती में सबसे अधिक समस्या और डर गर्भवती महिलाओं को है। यहां रहने वाली महिलाएं बताती हैं कि करीब 3-4 साल पहले बारिश के ही दौरान एक गर्भवती को अस्पताल ले जाने के लिए रात में उफनती नदी पार करनी पड़ी। अभी भी ऐसी परीस्थिति आई तो यही विकल्प हल , नान्दलेटा गांव में वाकई ये बहुत विकट स्थिति है। इसके लिए सांसद ने जिला पंचायत सीईओ को पत्र लिखा है।

किसी भी दिन गंभीर हादसे की आशंका
गांव वाले कई सालों से नदी पर पुलिया की मांग कर रहे हैं। मौजूदा सांसद, विधायक सहित पूर्व में कई जनप्रतिनिधियों और विभागों से आश्वासन मिला। परंतु आज तक पुलिया का निर्माण नही हो सका है। हम अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। एक बार पुन: सांसद को आवेदन दिया है। किसी भी दिन गांव में गंभीर हादसा हो सकता है।


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Harpreet Kaur

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