REWA NEWS : जैसे -जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है वैसे ही सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देने वाले महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने अपने नियमितीकरण की मांग तेज़ कर दी है। रीवा में प्रदेश स्तरीय मीटिंग करते हुए महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों नियमितीकरण संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले फिर एक बार अपनी मांग को सरकार के सामने रखने की रणनीति बनाई है, गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में अल्प मानदेय एवं अनिश्चित भविष्य के बावजूद लगातार सेवा अतिथि विद्वान दे रहे हैं उनका आरोप है, कि उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है इसी को लेकर प्रदेश भर के अतिथि विद्वान काफ़ी आक्रोशित हैं। 15 माह के अल्प कार्यकाल में कमलनाथ ने जीतू पटवारी के नेतृत्व में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की नोटशीट तैयार की थी प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी लेकिन सरकार ही गिर गई वहीं विपक्ष में रहते हुए उस समय के विपक्ष के नेता शिवराज सिंह चौहान सहित पूरी भाजपा अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर मुखर होकर नियमितीकरण का वादा की थी।
भाजपा में राजेंद्र शुक्ला तो कांग्रेस में जीतू पटवारी के ऋणी हैं अतिथि विद्वान
वहीं प्रेस वार्ता में भोपाल से आए प्रदेश संयोजक डॉ देवराज सिंह ने स्पष्ट कहा कि आज़ तक जो भी थोड़ा बहुत अतिथि विद्वानों को मिला है उसका पूरा श्रेय शिवराज सिंह चौहान की सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र शुक्ल एवं कमलनाथ जी के सरकार में पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी को जाता है,ये दोनों नेता अपनी अपनी सरकार में अतिथि विद्वानों के भविष्य सुरक्षित नियमितीकरण के लिए काफी प्रयास किए थे।आगे डॉ सिंह ने कहा की हम फिर से विंध्य के मुखिया राजेंद्र शुक्ल एवं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम जी से निवेदन करते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी से बात कर अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करवाएं एवं अपना आशीर्वाद दें।वही विश्वविद्यालय के संविदा प्राध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अनुराग मिश्र ने भी अतिथि विद्वानों की मांग का समर्थन किया।
अनुभव योग्यता दोनों फिर भी भविष्य सुरक्षित नहीं
मोर्चा के सदस्य डॉ नीलम शुक्ला एवं जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा की अतिथि विद्वानों के पास 26 वर्षों का लंबा अनुभव है साथ ही यूजीसी की योग्यता भी पूरी करते हैं उसके बाद भी अतिथि विद्वानों को नियमित नही किया गया जो की समझ से परे है।प्रवेश,परीक्षा,प्रबंधन,अध्यापन,मूल्यांकन,नैक,रुसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान ही करते हैं फिर भी शासन प्रशासन अतिथि विद्वानों को नज़र अंदाज़ करता है जो की बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं मोर्चा के सदस्य डॉ नवीन शर्मा ने बताया कि आज भी सैकड़ों अतिथि विद्वान सेवा से बाहर हैं,सरकार की गलत नीतियों के कारण फालेंन आउट अतिथि विद्वानों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है।सरकार को तत्काल बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। अतिथि कोई 5 दिन 6 दिन रहता है यहां तो सरकार ने 25 वर्षों से अतिथि बनाकर रखा है,विपक्ष में रहते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सहित नरोत्तम मिश्रा,गोपाल भार्गव,वीडी शर्मा सहित कई भाजपा दिग्गज अतिथि विद्वानों से नियमितीकरण का वादा किया था पर सत्ता पाते ही भूल गए,साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर सड़क में उतरे थे अब वो क्यों नहीं उतर रहे हैं।14 से 15 लाख युवाओं का नेतृत्व अतिथि विद्वान कर रहे हैं,हल्के में ना ले सरकार।सरकार अगर वादाखिलाफ़ी करती है तो आगामी समय में पूरे प्रदेश में व्यापक रूप से प्रदर्शन किया जाएगा।
अतिथि विद्वानों की मांग जायज़,शिवराज सिंह चौहान से करेंगे बात:-राजेंद्र शुक्ला
वही सैकड़ों अतिथि विद्वानों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र शुक्ल से मिलने पहुंचे,जहा अतिथि विद्वानों की मांग को जायज़ बताते हुए राजेंद्र शुक्ल ने कहा की अतिथि विद्वानों की मांग जायज़ है सरकार को निर्णय लेना चाहिए।हम शिवराज सिंह चौहान जी से बात करेंगे।