Lokayukta Action : वन रक्षक रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार, ये है पूरा मामला

Atul Saxena
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Sagar Lokayukta Police Action : रिश्वत का लालच शासकीय सेवकों के मन से दूर नहीं हो पा रहा है, आज एक बार फिर एक रिश्वतखोर कर्मचारी लोकायुक्त पुलिस के हत्थे चढ़ गया, सागर लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते हुए एक वन रक्षक को आज रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

सागर लोकायुक्त एसपी योगेश्वर शर्मा से मिली जानकारी के मुताबिक सागर जिले के देवरी निवासी शंकरलाल जाटव ने एक शिकायती आवेदन कार्यालय में दिया था, जिसमें वन रक्षक पर रिश्वत मांगे जाने की शिकायत की थी।

आवेदन में वीरेंद्र जाटव ने कहा कि वो एक फर्नीचर की दुकान खोल रहा था जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र के लिए उसने एक आवेदन कार्यालय वन मंडल दक्षिण, सागर में किया था।

कार्यालय वन मंडल दक्षिण सागर में राजस्व शाखा में पदस्थ वन रक्षक राजकुमार मौर्य ने उससे रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र देने के बदले 10,000/- रुपये रिश्वत की मांग की। लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत की सच्चाई के लिए आवेदक को एक रिकॉर्डर देकर वन रक्षक से बात करने की समझाइश देकर भेज दिया।

आवेदक वीरेंद्र जाटव ने वन रक्षक राजकुमार मौर्य को रिश्वत देने की हामी भरी, वन रक्षक ने आज आवेदक वीरेंद्र जाटव को अपने कार्यालय में पहली किश्त 4,000/- रुपये लेकर बुलाया। निर्धारित समय पर आवेदक और लोकायुक्त पुलिस की टीम वन मंडल कार्यालय पहुँच गई।

आवेदक वीरेंद्र जाटव ने वन मंडल दक्षिण सागर के कार्यालय में जाकर वन रक्षक राजकुमार मौर्य को रिश्वत की राशि 4000/- रुपये दे दी और लोकायुक्त पुलिस की टीम को इशारा कर दिया, कार्यालय के बाहर पहले से तैयार लोकायुक्त पुलिस की टीम ने कार्यालय में छापा मारा और वन रक्षक को पकड़ लिया।

अचानक हुई इस कार्रवाई से कार्यालय में हडकंप मच गया, लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने वन रक्षक राजकुमार मौर्य के पास से रिश्वत की राशि 4000 /- बरामद कर ली और जब उसके हाथ धुलवाए तो पानी का रंग गुलाबी हो गया जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

Lokayukta Action : वन रक्षक रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार, ये है पूरा मामला


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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