सागर, विनोद जैन। इन दिनों सुरखी (surkhi) नगर पंचायत सुर्खियों में बनी हुई है। इसका कारण है नगर पंचायत (Nagar Panchayat) में गुपचुप तरीके से कर्मचारियों (employees) की भर्ती की सूची। इस सूची में लगभग 30 नाम है। अगर वे 5 या 6 नाम जो पहले से ग्राम पंचायत में कार्यरत थे। उनको छोडकर बाकी नामों की बात की जाये तो वो फर्जी नजर आ रहे हैं। जब इन नियुक्तों (recruitment) की जनता के लोगों को जानकारी लगी तो गली गली में यह चर्चा जोर पकड गई और लोग पहुंच गये। सागर कलेक्टर कार्यालय और वहां निष्पक्ष जांच और कार्यवाही की मांग करने लगे।
वहीं देखा जाये तो नियम के मुताबिक पद पर बैठे व्यक्ति अपनों को उपकृत करने किसी योजना का व्यक्तिगत लाभ नहीं दे सकता लेकिन यहां ऐंसें नामों की भरमार है। कोई सरपंच के पुत्र या परिजन हैं तो कोई सचिव के पुत्र या भतीजे हैं।
प्राथमिकता दिलाने पुराने समय में दर्शा दीं ग्राम पंचायतों में नियुक्तियां
अब चालाकी भी ऐंसीं कि अगर प्राथमिकता की बात आ जाये तो सरपंच सचिव ने अपने पुत्रो-परिजनों की, उसी पंचायत में पहले नियुक्त दर्शा दीं और यह साबित करने की कोशिश की कि उसका पुत्र भतीजे या परिजन पहले से उसी पंचायत में कार्यरत थे। जिसके वह सरपंच या सचिव थे। अब सवाल यह उठता है कि सरपंच-सचिव रहते हुये अपने पुत्रों या परिजनों को ही क्यों चुना गया। क्या गांव में और कोई व्यक्ति पात्र नहीं था या किसी को रोजगार की जरुरत नहीं थी ?
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जाहिर है जिस तरह से नगर पंचायत में यह गुपचुप तरीके से भर्ती करने की कोशिश की जा रही थी। वैसे ही नगर पंचायत में शामिल हुई 5 ग्राम पंचायतों में गडबडी की गई होगी। वह तो नगर पंचायत हुई और जब पांचों ग्राम पंचायत के काम एक नगर पंचायत में शामिल हुये तो गुटबाजी और अपने अपनों को लाभ देने दिलान के चक्कर में फर्जीवाडा सामने आ गया। वरना यह खेल भी भीतर ही भीतर हो चुका था।
अब बात करें पुरानी तिथि में ग्राम पंचायतों में भर्ती की तो कोई 2018 तो कोई 2019 की अपनी भर्ती दर्शा रहा है। अब अगर जांच हो जाये तो एक बात और सामने आ सकती है। जिस दिनांक में ग्राम पंचायत में भर्ती बताई गई है। उस समय क्या वह व्यक्ति व्यस्क था। अगर नहीं तो जब सरकार ने बाल मजदूरी पर सख्त कानून बनाया है तो क्या शासकीय संस्थानों में नाबालिगों की भर्ती कर ली गई।