Sagar News : शासकीय अस्पताल में सुविधा का अभाव, झोलाछाप डॉक्टरों की कट रही चांदी

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सागर, विनोद जैन। एक समय जहां कोरोना महामारी (corona pandemic) के चलते लगभग हर घर में मातम पसरा हुआ था। जिसके चलते पूरे देश भर में अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव देखने को मिला था। और यही कारण था कि झोलाछाप से लेकर डॉक्टरों ने मरीजों को जमकर लूटा। अब उसी के तर्ज पर लगभग हर घर में किसी न किसी व्यक्ति को सर्दी-जुखाम (cold) हो रहा है। साथ ही डेंगू (Dengue) ने भी अपना आतंक फैलाना चालू कर दिया है। मच्छरों का आतंक तो इतना है कि पंखे और कूलर चलने के बाद भी वह खून चूस ले रहे हैं। वहीं बढ़ती बीमारियों की और प्रशासन का भी कोई ध्यान नहीं है। ऐसा ही कुछ सागर (Sagar ) के सुरखी (Surkhi) में देखने को मिला। जहां शासकीय अस्पताल (government hospital) में सुविधाओं की कमी के चलते झोलाछाप डॉक्टर अपनी मनमानी फीस वसूल रहे हैं।

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वर्षों से नहीं हुआ दवा का छिड़काव
एक तरफ तो मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत (Minister Govind Rajput) के विधानसभा क्षेत्र सुरखी को नगर पंचायत और उप तहसील का दर्जा दे दिया गया। लेकिन केवल नाम के लिए दर्जा की मिल पाया है। जमीनी हकीकत देखें तो सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं हैं। वही जानलेवा बीमारी डेंगू में भी मच्छरों से निजात दिलाने के लिए अनेक वर्षों से यहां दवा का छिड़काव भी नहीं हुआ है।

झोलाछाप डाक्टरों की कट रही चांदी
इस बीमारी के दौर में जहां शासकीय स्वास्थ्य सुविधायें जनता को नहीं मिल पा रहीं हैं। तो इसी का फायदा गांव-गांव में बैठे झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। अपनी निजी क्लीनिक में इलाज के नाम पर मनमानी कीमत वसूल कर रहे हैं। अगर कोई व्यक्ति इलाज के लिए यहां जाता है तो पहली बार में ही बुखार के प्राथमिक इलाज में कम से कम एक हजार का खर्चा आ रहा है और इस तरह तीन-चार बार तो मरीज को इलाज के लिए आना पडता हैं। ऐसे में एक व्यक्ति के इलाज का खर्चा तक़रीबन दस हजार रुपये तक आता है। वहीं खर्च करने के बाद भी कुछ मरीज ठीक होने की जगह और भी गंभीर हो जाते हैं।

कहीं न कहीं कुछ प्रायवेट डॉक्टर ऐंसे भी है जो कभी-कभी मरीज के लिए देवदूत भी बन जाते हैं। जब रात में मरीज का कोई दूसरा सहारा न हो तो यही एक-दो प्रायवेट डॉक्टर काम आ जाते हैं। बतादें कि इन सब समस्याओं का मुख्य कारण है शासकीय अस्पताल मेंस्वास्थ्य सुविधाओं की कमी। क्योंकि यहां जब दिन में ही डॉक्टर कभी कभार ही मिलते हैं तो रात में तो कहना ही क्या। और इसी का फायदा झोलाछाप उठा रहे है। वहीं लापरवाही डॉक्टर की हो या प्रशासन की लेकिन यहां हर तरफ से जनता परेशान हो रही है।

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Harpreet Kaur

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