सुरखी नगर परिषद में दो भाजपा प्रत्याशी चुने गए निर्विरोध

Amit Sengar
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सागर, विनोद जैन। नगर परिषद सुरखी (surkhi) में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में आखिर काफी गहमा गहमी के बीच दो महिला प्रत्याशी निर्विरोध होने में कामयाब हो ही गए है, जो भाजपा प्रत्याशी थीं जिसमें वार्ड क्रमांक 3 से सीता पत्नी ओंकार परिहार जो अपने गांव उमरारी से न लडकर सुरखी से लडीं जिनके ससुर सरमन सिंह परिहार ने काफी जद्दोजहद करते हुये निर्दलीय प्रत्याशी मुन्ना लाल पटेल पिता ज्ञानी पटैल और गोपाल पटैल पिता मुल्ली पटैल और कांग्रेस प्रत्याशी मीनारानी पति राजेश उर्फ राजू रैकवार को अपने पाले खींचते हुए उनकी नाम वापसी करवा ली और अपनी पुत्र वधु सीता को निर्विरोध पार्षद बना लिया।

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आपको बता दें कि सरमन सिंह परिहार को मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का काफी समर्थक माना जाता है जो मंत्री के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये थे और भाजपा से अपनी पुत्रवधु के लिए टिकिट दिलवा दिया अब बात करें वार्ड नंबर आठ की तो यहां से कविता पति अरविंद दांगी को भीभाजपा से निर्विरोध पार्षद चुन लिया गया, यहां इनके खिलाफ एक निर्दलीय प्रत्याशी मनबाबाई पति कलू पटैल और उषा पति कुंवर सिंह ठाकुर ने फार्म भरा था। लेकिन पिछडा वर्ग के लिए आरक्षित सीट होने पर उषा पति कुंअर सिंह ठाकुर का जाति प्रमाण पत्र न होने के कारण फार्म निरस्त हो गया, और इसके बाद मनबाबाई पति कलू पटैल ने भी अपना फार्म वापिस ले लिया और कविता पति अरविंद सिंह दांगी ठाकर निर्विरोध चुन ली गई।

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गौरतलब है कि कविता के ससुर ठाकुर डेलन सिंह मोठी वाले जनसंघ के समय से भाजपा के कट्टर समर्थक हैं और नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के बेहद ही करीबी माने जाते हैं इसलिए भाजपा ने डेलन सिंह की पुत्रवधु कविता को भाजपा से टिकट मिला और निर्विरोध पार्षद चुनी गई लेकिन अब पार्षद ही अध्यक्ष को चुनेंगे लेकिन यहां तो दोनों पार्षद ही अध्यक्ष पद के दावेदार हैं और इसके अलावा अभी जो भाजपा के कुछ और चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशी जैसे सुसमा पति महराज सिंह ठाकुर और रेखा पति अरुण गौतम भी चुनाव लड रहे हैं वह भी अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं लेकिन उनके सामने अभी अन्य प्रत्याशी चुनाव लड रहे हैं और अगर जीतकर आते हैं तो वह भी अध्यक्ष पद के दावेदार साबित हो सकते हैं।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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