गरीबों को परोसा जा रहा सड़ा हुआ अनाज, अधिकारियों की लापरवाही हुई उजागर

Gaurav Sharma
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सतना, पुष्पराज सिंह बघेल।जिले के गरीबों की थाली में सड़ा अनाज परोसा जा रहा ,अनाज के लिए बनाए गए भंडार केंद्रों में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है । भंडार केंद्रों में खुले में रखा अनाज सड़ रहा जिसे अब पीडीएस के माध्यम से गरीबो में बांटा जा रहा । जिले में मैहर और अमरपाटन तहसील के गांव में सिजहटा ओपन कैम्प से लोड किया गया गेंहू जानवर तक खाने के लायक नहीं हैं । लापरवाही उजागर होने पर अब जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए है और सिजहटा कैम्प से गेहूं के उठाव पर रोक लगा दी है ।

दरअसल, सतना जिले के शासकीय और निजी बेयर हाउस की कमी की बजह से 14 ओपन कैम्प बनाये गए है। जहां समर्थन मूल्य पर खरीदा गया गेहूं और धान का भंडारण किया गया है ।खुले आसमान के नीचे सिर्फ पॉलीथीन से ढक कर सुरक्षित रखा गया है । ये तस्वीर है सिजहटा ओपन कैम्प की ,जिले के चार सहकारी समितियों का अनाज यहा भंडारित है ।लेकिन उचित रखरखाब की कोई व्यवस्था नहीं , यहां रखा गेहूं आवारा जानवर चट कर रहे तो वही अधिकांंश गेंहू सड़ गया है ,जो बचा भी है उसमें घुन लग चुका।

 

अब यही खराब गेहूं पीडीएस दुकानों में भेजा जा रहा जो गरीबों का उदर पोषण कटेगा ,अमरपाटन और मैहर क्षेत्र की पीडीएस दुकानों में घुना और सड़ा गेहूं पहुचने से हड़कम्प मच गया है, गरीबों ने गेहूं लेने से मना कर दिया है । लापरवही उजागर होने पर अब जिला प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए अब पूरे मामले की जांच शुरु की है ।जिला कलेक्टर ने सिजहटा कैम्प में रखा गेहूं के उठाव पर रोक लगा दी है । खाद्य विभाग की तीन मामले की जांच कर रही और खराब गेहूं वापस लेकर अच्छा गेहूं देने की बात कह रही ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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