तीन सूत्रीय मांगों को लेकर स्कूल संचालको ने सौंपा सीएम के नाम ज्ञापन

Gaurav Sharma
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सीहोर, अनुराग शर्मा। अशासकीय विद्यालय संचालक संघ ने तीन सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम का ज्ञापन विधायक सुदेश राय को प्रदेशाध्यक्ष हेमंत सिंह तोमर एवं जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र गौतम के नेतृत्व में दिया है। निजी स्कूल संचालकों से विधायक सुदेश राय ने कहा की लॉकडाउन से प्रभावित अभिभावकों का पूरा ध्यान रखे। मुख्यमंत्री से चर्चा कर आप की मांग पूरी कराई जाएगी।

संघ सचिव राजेश सिंह भदोदिया ने कहा की कोरोनाकाल में सरकार के द्वारा लगाए गए लॉकडाउन से अशासकीय विद्यालयों की आर्थिंक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। मार्च माह से अभी तक लगातार विद्यालय बंद है, जिसके कारण काफी परेशानियों का सामना संचालकों को करना पड़ रहा है। स्कूल संचालक मनोज पाटीदार ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने एजुकेशन ऐप थोप दिया है। यह पूरी तरह अव्यावहारिक है, इसे तुरंत रोका जाए।

हाई स्कूल एवं हाई सेकेंडरी की मान्यताओं को आगामी 3 या 5 वर्ष तक बिना किसी कागज कार्रवाई की सीधे वृद्धि की जाए , आवेदन संबंधी दस्तावेज विद्यालय खुलने के पश्चात जमा कर दिया जाएगा । स्कूल संचालक चंद्रभूषण बघेल ने कहा की पिछले वर्षो की बकाया राशि सहित सत्र 2019-20 तक की संपूर्ण निशुल्क शिक्षा की राशि शासन द्वारा अविलंब बिना किसी फॉर्मेलिटी के भुगतान की जानी चाहिए, जिससे की विद्यालयों को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकें। विद्यालय संचालन से जुडे हुए लाखों परिवारों के घरों की अर्थव्यवस्थ चलाने का कार्य विद्यालय करते है ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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