सीहोर (sehore) का फेमस शरबती गेंहू (sharbati wheat) का उत्पादन (production) हर साल की तुलना में इस साल ज्यादा हुआ है, इसके बाद भी उपज की कीमत (price) न मिल पाने के कारण किसान (farmers) परेशान है। अपने बेहतरीन स्वाद (taste) और सोने जैसे रंग ()colour वाले शरबती गेहूं (wheat) को लेकर सीहोर पूरे प्रदेश में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। जिले में उगने वाला शरबती गेहूं पूरे देश (country) में जाना जाता है। इस साल तमाम परेशानियों के बाद भी किसान की मेहनत रंग लाई और हर साल की तुलना में गेहूं का उत्पादन ज्यादा हुआ, फिर भी लॉकडाउन (lockdown) के कारण किसानों को इसकी कीमत नहीं मिल पा रही है, जिससे वह परेशान हैं।
शहर को देश में पहचान दिलाने वाली शरबती गेहूं (sharbati wheat) के बंपर उत्पादन (bumper production) के बाद अपनी उपज बेचने आए किसानों (farmers) ने बताया कि पिछले साल की तुलना में हमें गेहूं (wheat) का कम भाव मिल रहा है। पिछले साल शरबती गेहूं 35 सौ क्विंटल तक बिका था, वहीं अब 25 सौ रुपए क्विंटल तक ही जा रहा है। इस बार गेहूं की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन लॉकडाउन का असर कहीं ना कहीं इस पर पड़ रहा है।
कृषि अधिकारी (agriculture officer) एसएस राजपूत का कहना है कि शरबती गेहूं की खासियत यह है कि इसकी चमक के साथ ही इस के दाने एक जैसे होते हैं। इसका निर्यात पूरे देश में किया जाता है, पिछले साल की तुलना में इस बार गेहूं की बंपर पैदावार (bumper production) हुई है। बारिश ज्यादा होने से गेहूं का उत्पादन अधिक हुआ है। सभी जगह गेहूं की खरीदी भी की जा रही है और सोशल डिस्टेंस का पालन भी किया जा रहा है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल गेहूं का उत्पादन 13 लाख 14 हजार मैट्रिक टन तक पहुंच गया है, जबकि पिछली वर्ष जिले में 9 लाख मैट्रिक टन के आसपास गेहूं का उत्पादन हुआ था. इस साल यहां करीब 2 लाख 9 हजार हेक्टेयर पर किसानों ने गेहूं की बोवनी की थी, जिसमें करीब 1 लाख 21 हजार 170 मैट्रिक टन शरबती गेहूं का उत्पादन हुआ है. यह पिछले साल की तुलना में अधिक है।