तापमान फिर 10 डिग्री से नीचे, सुबह छाया घना कोहरा, फसलों पर जमी बर्फ

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सीहोर|अनुराग शर्मा | क्षेत्र में ठंड ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है, बल्कि यू कहे तो कोई अतिश्यक्ति नही होगी कि ठंड ने अचानक अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है।  शनिवार को सुबह लगभग सभी गांवों में किसानों के खेत की मेडों और फसलों पर बर्फ की परत जम गई थी। जिससे फसलों को भी नुकसान पहुंचने की संभावना है। जानकारी के अनुसार शनिवार की सुबह ठंड की दोहरी मार पड़ी है, एक तरफ जहां चारों ओर घना कोहरा छाया रहा, वही पाला कहर बनकर फसलों पर टूट रहा हैं। सुबह होने पर जब किसान खेतों पर पहुंचे  तो फसलों पर बर्फ की पाले की सफेद चादर देख हेरान रह गए, इससे मौसम में ठिठुरन और गलन बढ़ गई है, सर्दी से लोग कांप उठे है दूसरी ओर पाले के चलते फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे है। पाले से आलू की फसल पर रोग लगने का खतरा बढ़ गया है, किसानों की चिंताएं बढ़ती जा रही है, वही तेज ठंड गेहूं की फसल के लिए लाभप्रद बताई जा रही है। बताया गया है कि कड़ाके की ठंड के कारण अब पाले की मार पडऩे लगी है। खेतों में ओस की बूंदे जमने से चारों ओर बर्फ की चादर सी दिखाई दी। ठंड के कारण लोग धूप निकलने क बाद घरों से बाहर निकले, दिन मे तेज धूप खिलने से लोगों को ठंड से कुछ राहत मिली लेकिन शाम ढ़लने के बाद ठंड प्रकोप फिर बढ़ गया। रात खेतो में सिंचाई कर रहे किसानों को ठंड की मार झेलनी पड़ी। किसान अलाव ताप कर ठंड से राहत पाते रहे, यह भी देखा गया कि गेहूं और सरसों की फलियों पर बर्फ की चादर बनने से फसलों की बढ़ोतरी प्रभावित कम होने के आसार बन गए है। 

शासकीय आरएके कृषि कालेज मे स्थित मौसम विज्ञान केेंद्र के मौसम वैज्ञानिक डॉ एसएस तोमर ने बताया कि अधिकतम तापमान 17 डिग्री और न्यूनतम तापमान 4.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। श्री तोमर के अनुसार आसमान पर बादल साफ हो जाने के कारण न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज हुई

गेंहू में जड़ माहू कीट से बचाव के उपाय :  कृषि विभाग द्वारा गेंहू की फसल में लगने वाले जड़ माहू कीट बचाव के उपाय किसानों को सुझाए गए है। विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि मौसम की प्रतिकूलता के कारण गेंहू की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना मौसम की प्रतिकूलता के दौरान हो सकती है। किसानों से अपील की कि अपने-अपने खेत की सतत निगरानी करें।

जड ़माहू प्रकोप के लक्षण : यह कीट गेंहू फसल में पौधो की जड़ों से रस चूसता है जिसके कारण पौधा पीला पडऩे लगता है और धीरे-धीरे सूखने लगता है। शुरूआत में खेतों में जगह-जगह पीले पड़े हुए पौधे दिखाई देते है, बाद में पूरा खेत सूखने की संभावना रहती है। जड़ माहू कीट की पहचान-यह कीट हल्के पीले रंग से गहरे हरे रंग का होता है जो जड़ों का रस चूसता हुआ दिखाई पड़ता है। गेंहू के पौधो को जड ़से उखाडने पर ध्यानपूर्वक देखने से यह कीट आसानी से दिखाई देता है। जड़ माहू कीट प्रबंधन-इस कीट के प्रबंधन हेतु इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल दवा की 70 एमएल मात्रा प्रति एकड अथवा एसीटामेप्रिड 20 प्रतिशत एसपी दवा की 150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ अथवा थायोमिथाक्जॉम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी दवा की 50 ग्राम मात्रा प्रति एकड को 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर पूरे खेत में अच्छी तरह से छिडक़ाव करें। 

शीत लहर से बचाव हेतु रखें सावधानियां

   मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस समय प्रदेश शीतलहर की चपेट में है। ऐसी स्थिति में दीर्घकालीन बीमारियों जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्ध, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इस विशेष समूह को तथा जन-सामान्य को भी सलाह दी गई है कि पर्याप्त गर्म कपड़े पहने, जहाँ तक संभव हो सके घर पर ही रहें, नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहें। अल्प तापवस्था के लक्षण जैसे शरीर का तापमान सामान्य से कम होने, न रूकने वाली कंपकंपी, याददाश्त चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था का होना, जबान का लडख़ड़ाना आदि प्रकट होने पर चिकित्सक को अवश्य दिखायें।

फसलों को पाले से बचाने हेतु किसानों को सलाह

 कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को फसलों में पाले से बचाव हेतु आवश्यक सलाह दी गई है। विभाग द्वारा किसानों से से कहा गया है कि फसलों को पाले से बचाने के लिए  सायंकाल आसमान साफ हो, हवा शांत हो एवं तापमान में कमी के साथ गलावट बढ़ रही हो तो तय मान लें कि उस रात पाला पडऩे वाला है। पाले के प्रति अति संवेदनशील फसल अरहर, मसूर, मटर, टमाटर, बैगन एवं आलू है। फसलों को पाले से बचाने हेतु सर्व प्रथम हल्की सिचाई करें तथा रात 10 बजे के पश्चात खेत के उत्तर एवं पश्चिम दिशा की मेडों पर धुँआ करें। जैविक नियंत्रण के लिए 500 मिली. ताजा गोमूत्र अथवा 500 मिली. गाय के दूध को प्रति पम्प (15 लीटर पानी) की दर से घोल बनाकर पाले से पूर्व फसल पर छिडक़ाव करें। स्थाई समाधान के लिए खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायुरोधक वृक्षों की बाड़ तैयार कर पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है।


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