सीहोर, अनुराग शर्मा। शिवराज सरकार के किसान कल्याण और कृषि विभाग के मंत्री कमल पटेल (kamal patel) अपने बेबाक बयानों और फायरब्रांड अंदाज से तो जाने ही जाते हैं, लेकिन इन दिनों मंत्रीजी का कार्यक्रमों में देरी से पहुंचना भी उनकी आदत में शुमार हो गया है। इससे उनकी छवि खराब तो हो ही रही है, शिवराज सरकार की साख पर भी बट्टा लग रहा है। ताजा मामला सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले आष्टा विधानसभा का है, जहां मंत्री जी को निर्धारित समय पर एक कार्यक्रम में शामिल होना था। लेकिन मंत्री जी घंटों इंतजार कराने के बाद भी नहीं पहुंचे और सैकड़ों महिलाओं को घंटों परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस दौरान मंत्री जी के इंतजार में आयोजन स्थल पर स्व सहायता समूह की सैकड़ों महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ भूखे प्यासे बैठी रही रही। महिलाओं की गोद मे बैठे बच्चे रोते बिलखते रह। अगर मंत्रीजी घंटों इंतजार कराने के बाद आ जाते तो भी मामला संभल जाता लेकिन अंत में वे आए ही नहीं।
कृषि मंत्री कमल पटेल का आष्टा के संस्थान द्वारा आयोजित निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने का आधिकारिक सूचना पत्र जारी हुआ जिसके अनुसार मंत्री जी को 2 बजकर 15 मिनिट पर इस कार्यक्रम में शामिल होना था। लेकिन 5 बजकर 30 मिनिट तक महिलाएं इंतजार करती रहीं और 6 बजे सीहोर जनसपंर्क विभाग ने मंत्री जी के कार्यक्रम में शामिल ना होने की जानकारी दी।
इस दौरान निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम में सैकड़ों स्व सहायता समहू की महिलाएं मंत्री जी के इंतजार में घंटो से बैठी रही, जिनमें से कई महिलाओं की गोद मे छोटे छोटे बच्चे भी थे जो कैमरे के सामने रोते बिलखते दिखाई दिए। लेकिन चौंकाने वाली बात यह देखने को मिली कि स्थानीय प्रशासन को इस मामले की कोई जानकारी ही नही थी। जब आष्टा तहसीलदार रघुवीर मारवी से इस बारे में बात करनी चाही तो तो उन्होंने कहा मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। जनपद पंचायत सीइओ से जानकारी लेकर बताता हूं। वहीं जब महिलाओं से जानकारी प्राप्त की गई तो कई महिलाओं ने बताया कि वह ग्रामीण क्षेत्रों से सुबह 11 बजे की आई है और सभी महिलाएं स्व सहायता समहू में कार्य करती हैं। इस दौरान कई महिलाएं तो अपने घर का दैनिक कार्य छोड़कर आई है। जब घंटों इंतजार के बाद भी मंत्री जी नही आये तो भूखी प्यासी बैठी महिलाएं नाराज होते हुए आयोजन स्थल से चली गईं। अब सवाल स्थानीय प्रशासन पर खड़ा होता है कि जब जनसपंर्क विभाग ने मंत्री जी के कार्यक्रम की जानकारी का आधिकारिक पत्र जारी किया है तो फिर स्थानीय प्रशासन को क्या कार्यक्रम की भनक भी नही लगी। जब कार्यक्रम में सैकड़ों महिलाएं भूखी प्यासी अपने रोते बिलखते बच्चों के साथ बैठी रही तो इनके भोजन, पानी की व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
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श्रुति कुशवाहा
2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।