सतना (मैहर), पुष्पराज सिंह बघेल। शारदीय नवरात्र पर्व की शुरूआज के साथ ही आज से मैहर वाली माँ के दरबार में शारदीय नवरात्रि मेला शुरू हो गया है। मैहर शारदा शक्तिपीठ में माता के भक्तों का पहुँचने का सिलसिला शुरू हो गया है। मंदिर के पुजारी द्वारा आरती के बाद शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हुई। 52 शक्तिपीठो में से मैहर के त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा मंदिर भी शक्तिपीठ माना जाता है। करोना काल के बावजूद भी श्रद्धालुओं की आस्था कम नही दिखी। सुबह ही भक्तों की भारी भीड़ दिखाई दी, हालांकि शासन प्रशासन ने मेले की चाक चौबंद व्यवास्था के दावे किए है ।
इस वर्ष करोना काल में जहाँ माँ शारदा के दरबार में चैत्र की नवरात्रि में टोटल लॉक डाउन रहा, लेकिन इस शारदीय नवरात्रि पर्व में माता का दरबार पुलिस और जिला प्रशासन के भारी व्यस्था के बीच खोल दिया गया है। आज नवरात्रि का पहला दिन है, जहां मध्य प्रदेश के सतना जिले की मैहर माता के दर्शन करने लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचे है। मैहर में आज ब्रम्हमुहूर्त से शारदे नवरात्रि मेला शुरू हो गया है। पुजारी ने माँ शारदा का श्रृंगार कर पूरे विधि विधान से आरती की और दर्शनार्थियों के लिये मंदिर का गर्भ गृह खोल दिया। पट खुलते ही स्थानीय और बाहरी दर्शनार्थियों के पहुँचने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस नवरात्रि में बाहरी श्रद्धालुओं की तादात में कोरोना का असर दिख रहा है। शासन प्रशासन भी कोरोना प्रोटोकाल के तहत श्रद्धालुओं को मास्क की व्यवास्था की है। डॉक्टरों की टीम के साथ कोविड केयर सेंटर, कोविड जांच केंद्र के साथ पूरी मेडिकल सुविधा मुहैया की गई है। इस बार प्रशासन के 350 अधिकारी कर्मचारी और 1200 पुलिस जवान शारदे नवरात्रि मेले में तैनात किये गये है, सतना एसपी की निगरानी में सारे पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। 09 दिन चलने वाले मेले में कोविड से भक्तों की तादात में कमी नही दिखी है। भक्तों की भक्ति सिर चढक़र बोल रही है, सतना एसपी ने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही श्रद्धालुओं को माँ शारदा के दर्शन कराए जा रहे है ।
52 शक्ति पीठों में से एक है मैहर की मां शारदा
हिन्दू मान्यता के अनुसार भारत में आदि शक्ति माँ जगदम्बा को शक्ति स्वरूपा माना जाता है और उनकी पूजा अर्चना के विशेष दिन चैत्र और कुंआर की नवरात्री तय की गयी है। जिसमें माँ के नौ शक्ति स्वरूपा की नौ दिन पूजा अर्चना की जाती है। पूरे भारत में माँ के 52 शक्ति पीठों में नवरात्री में अनोखा दृश्य रहता है। शिव पुराण में वर्णन है कि माता सती ने अपमान की आग में जब खुद को हवन कुंड में झोंक दिया था तब भगवन शिव माँ के पार्थिव शरीर को लेकर पूरे ब्रम्हांड में घुमने लगे, तब विष्णु भगवान को अपने चक्र सुदर्शन से माता के पार्थिव शरीर के टुकड़े करने पड़े। जो अंग जहाँ गिरा आज वहाँ सक्ति पीठ स्थापित है। कहते है मैहर में माँ का कंठ और उनका हार गिरा था। लिहाजा 52 शक्ति पीठों में से एक माई शारदे जो की सरस्वती स्वरूपा मानी जाती है कि पूजा अर्चना का विशेष महत्त्व है। माँ का हार गिरने के कारण पहले माई हार हुआ और अब अपभ्रंस होकर मैहर के नाम से पूरे भारत वर्ष में आस्था का केंद्र है। वर्ष की दोनों नवरात्री में लाखों श्रद्धालुओं का ताँता लगता है। त्रिकूट पर्वत पर विराजी माँ शारदा सर्व मनोकामनाओं को पूरा करने वाली हैं। 522 ईसा पूर्व को चतुर्दशी के दिन नृपल देव ने सामवेदी की स्थापना की थी। तभी से त्रिकूट पर्वत में पूजा अर्चना का दौर शुरू हुआ।
इस मंदिर की पवित्रता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि माँ से अमरत्व का वरदान प्राप्त आल्हा उदल आज भी माँ की प्रथम पूजा करते है, जिसके हमेशा प्रमाण मिलते आये है। जब भी पट खुलते हैं माँ की पूजा श्रृंगार हुए मिलते है। ये भी मान्यता है इस बीच यहाँ मंदिर में कोई ठहर नहीं सकता।