सैलानियों के लिए खुले कूनो नेशनल पार्क के गेट, उठा पाएंगे इन जानवरों को देखने का लुफ्त, देखें पूरी जानकारी

Shashank Baranwal
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कूनो नेशनल पार्क

Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से सैलानियों के लिए खुशखबरी सामने आई है। तीन महीने से राह देख रहे कूनो नेशनल पार्क के सैलानियों के इंतजार का वक्त खत्म हो गया। एक अक्टूबर को कूनो नेशनल पार्क के दो दरवाजों पीपलवाड़ी और अहेरा को सैलानियों के लिए खोल दिया गया है। सैलानी अब इन दरवाजों से कूनों नेशनल पार्क की कभी भी सैर कर सकेंगे। कूनों नेशनल पार्क में सैलानी तेंदुआ, चीतल, भालू, हिरण, लकड़ बग्गा समेत तमाम जानवरों का दीदार कर सकेंगे। वहीं टिकटोली का मुख्य दरवाजा बंद रहेगा, और चीतों का बड़े बाड़ों में बंद होने के कारण सैलानी चीतों का दीदार नहीं कर पाएंगे।

तीन महीने बंद रहता है पार्क

पार्क में रह रहे पशु पक्षियों के प्रजनन के दौरान सैलानियों की आवाजाही लगा दी जाती है। बता दें हर साल 30 जून से 30 सितम्बर तक कूनो नेशनल पार्क समेत अन्य पार्क तीन महीने के लिए बंद कर दिए जाते है। जिससे लोगों के शोर शराबे और आवाजाही से पशु पक्षियों को परेशानी न हो। वहीं अक्टूबर माह में कूनो नेशनल पार्क के दरवाजे खुल जाने से एक बार फिर सैलानी सैर कर सकेंगे। साथ ही साथ अलग अलग प्रकार के पशु पक्षियों का दीदार कर लुत्फ उठा सकेंगे।

चीतों के दीदार में अभी वक्त

कूनो नेशनल पार्क के टिकटोली का दरवाजा बंद होने के कारण अभी सैलानी चीतों का दीदार नहीं कर पाएंगे। बताया जा रहा है कि इस गेट के पीछे चीतों का बड़ा बाड़ा है जिसके कारण यहां आवाजाही से चीतों को परेशानी हो सकती है। इसके साथ ही चीतों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे के कारण अभी विभाग के अधिकारियों ने सैलानियों के लिए दरवाजे को बंद रखने का फैसला लिया है।

 

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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