शिवपुरी, शिवम पाण्डेय। विलुप्त होती खूबसूरत सोन चिरैया (Son Chiraya) के संरक्षण और उसके वंश वृद्धि के नाम पर पिछले कई दशकों में कई करोड़ रुपये खर्च करने के बाद आखिरकार सरकार ने अब मान लिया है कि सोन चिरैया फुर्र हो गई है। सरकार ने सोन चिरैया अभ्यारण्य के एक बड़े हिस्से को इससे मुक्त कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद अभ्यारण्य क्षेत्र में बसे गांवों के निवासियों के चेहरे पर ख़ुशी है, उन्हें अब विकास की उम्मीद बंधी है।
शिवपुरी से करीब 40 किलोमीटर दूर जिले के करैरा क्षेत्र के सोन चिरैया अभ्यारण (Karera Son Chiraiya Sanctuary) के 202.21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र राज्य शासन ने अभ्यारण से मुक्त घोषित कर दिया है। सरकार ने इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद करैरासोन चिरैया अभ्यारण्य में बसे 32 गांवों के निवासी बहुत खुश हैं।
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आपको बता दे कि शिवपुरी जिले के करैरा क्षेत्र को सरकार ने वर्ष 1999 में सोन चिरैया अभ्यारण्य घोषित कर दिया था जिसमें के 32 गांव भी शामिल थे। अभ्यारण्य के कारण इस क्षेत्र का विकास रुक गया , कोई भी जमीन खरीदी बिक्री नहीं होती थी, न ही कोई उद्योग लग रहे थे, ना निर्माण कार्य होने दिए जाते थे जिससे कई गांव बुरी तरह पिछड़ते चले जा रहे थे। किसान कहने लगे कि ग्रामीण, बच्चे से जवान और जवान से बूढ़े हो गए और सैंकड़ों ग्रामीण तो भगवान को प्यारे हो गए लेकिन आज तक किसी ने वहां सोन चिरैया नहीं देखी। जब अभ्यारण्य में सोन चिरैया है ही नहीं तो उक्त गांवों को सोन चिरैया से मुक्त क्यों नहीं किया जा रहा?
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करैरा क्षेत्र के 32 गांवों को अभ्यारण्य से बाहर कराने के लिए कई लोगों ने प्रयास किये, ज्ञापन सौंपे आंदोलन किये , सरकार पर दबाव बनाया , जिसका नतीजा ये हुआ कि सरकार ने भी मान लिया कि करैरा के अभ्यराण्य में सोन चिरैया है ही नहीं और फिर नोटिफिकेशन जारी कर क्षेत्र को अभ्यारण्य से मुक्त कर दिया।
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भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश प्रवक्ता कृष्णा देवी रावत की अगुवाई में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले ग्रामीणों ने एकत्रित होकर देश के प्रधानमंत्री के नाम, जिला शिवपुरी के कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा और 30 दिन के अंदर उक्त गांवों को सोन चिरैया अभ्यारण्य से मुक्त करने की बात कही। ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों ने चेतावनी भी दी थी कि अगर 30 दिन के अंदर इस क्षेत्र को सोन चिरैया अभ्यारण्य से मुक्त नहीं किया गया तो उन्हें और उग्र आंदोलन करने पर विवश होना पड़ेगा। जिसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार जिम्मेदार होंगी।
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आखिरकार तत्कालीन ग्वालियर सांसद एवं वर्तमान में भारत सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित स्थानीय आंदोलनकारियों की मेहनत रंग लाई। जिसके चलते अब करैरा विधानसभा क्षेत्र के 32 गांव सोन चिरैया अभ्यारण से मुक्त हो गए हैं। अब भूमि का उपयोग विभिन्न आर्थिक-सामाजिक विकास कार्यों के लिए किया जा सकेगा।