शरद पूर्णिमा- क्यों बनाई जाती है आज के दिन खीर, जानिए क्या कहता है साइंस

Gaurav Sharma
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Significance of kheer on sharad poornima

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। आज देश भर में शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। ये पूर्णिमा साल भर में आने वाली 13 शुभ पूर्णिमाओं में से एक है। हिंदू पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा साल का एकमात्र ऐसा दिन है, जब चंद्रमा अपने सभी सोलह कलाओं या चरणों में देदीप्यमान होता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि जो कोई भी इस दिन व्रत रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। ये पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी प्रसिद्ध है। मां लक्ष्मी के साथ इस पूर्णिमा पर चंद्रमा और भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है।

शरद पूर्णिमा 2020 का मुहूर्त:

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 30 अक्टूबर, 2020 को दोपहर 12:45 बजे।

पूर्णिमा तिथि समाप्ति – 31 अक्टूबर, 2020  रात 20:12 बजे।

बता दें कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और उसकी चांदनी में अलग ही चमक होती है। इस दिन मौजूद रासायनिक तत्व सीधे धरती पर आकर गिरते हैं इसलिए कहा जाता है कि चांद की चांदनी से अमृत की बारिश होती है, यहीं वजह है जो लोग आज के दिन खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखते है, जिससे चांद्र की दिव्य किरणों को इकट्ठा कर सके। रात भर चांद की रोशनी में खीर रखने के बाद दूसरे दिन इसे प्रसाद के रुप में ग्रहण किया जाता है।

क्यों है इस दिन खीर का महत्व

पूर्णिमा की रात को खीर को बना कर चांद की रोशनी में रखने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। कहा जाता है कि दूध, जब समय के साथ छोड़ दिया जाता है, तो लैक्टिक एसिड को उत्तेजित करता है, जो बदले में, अच्छे बैक्टीरिया के उत्पादन में मदद करता है। चंद्रमा की किरणें दूध की इस संपत्ति को बढ़ाती हैं और इसे स्वस्थ बनाती हैं।

इसके अलावा, खीर में चावल भी होता है जो स्टार्च से भरपूर होता है जो असंख्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह सूजन को कम करता है, आंत के स्वास्थ्य में सुधार करता है, और समग्र कल्याण को बढ़ाता है। और चूंकि यह भोजन पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसलिए इसे दिव्य अमृत के रूप में रखा जाता है। यह भी कहा जाता है कि यह खीर अस्थमा के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।

इस दिन क्या करने से बचे

यदि आप आज का उपवास नहीं कर रहे है तो आप कोशिश करे की शरद पूर्णिमा के दिन आप सात्विक भोजन ही करे। वहीं आज के दिन काले कपड़े पहनने से बचे। सफेद रंग के कपड़े पहनने से मिलेगा ज्यादा लाभ।

माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महा-रास किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि आज के दिन भगवान कृष्ण रास करने धरती पर आते है। वहीं ये भी माना जाता है कि इस दिन चांदनी रात में सुई में धागा पिरोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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