NTPC में नहीं  रुक रहा कहर, लापरवाही से फिर गई एक मजदूर की जान

सिंगरौली, राघवेन्द्र सिंह गहरवार। NTPC  विंध्यनगर में आज फिर एक मजदूर (Worker) हादसे का शिकार हो गया। बताया जाता है कि बलिया उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) का रहने 38 वर्षीय मृतक सतेंद्र  उपाध्याय वर्तमान में अंबेडकर नगर जयंत में  रहकर NTPC में  संविदा कर्मी के तौर पर एल एंड टी (L&T) के संविदा एजेंसी ब्रदर्स इंजीनियरिंग में  वेल्डिंग का कार्य कर रहा था। NTPC में  FGD प्लांट लगाने के लिए कुछ स्ट्रक्चर को हटाया जा रहा है जिसे वेल्डिंग से काटकर हटाने का कार्य ब्रदर्स इंजीनियरिंग कर रही है, मृतक सतेन्द्र उपाध्याय कल शाम की ड्यूटी कर रहा था कि अचानक लोहे की प्लेट उसके ऊपर आ गिरी  जिससे सतेंद्र  की मौत हो गई। बताया जाता है कि मृतक जब कल ड्यूटी से घर वापस नहीं गया तो मृतक के परिजनों ने थाने में सूचना दी थी परिजनों का कहना है कि NTPC  और एल एंड टी कंपनी के कर्मचारी समय पर पहुंच गए होते तो मृतक की जान बच गई होती।

गौरतलब है कि NTPC  की लापरवाही से प्लांट मे आए दिन हादसे हो रहे हैं। NTPC  में सुरक्षा को दरकिनार कर मजदूरों से कार्य करवाया जाता है NTPC में अनेक संविदा एजेसियां कार्य कर रही हैं लेकिन सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है जिसका जीता  जागता उदाहरण आए दिन हादसे होना है। आपको बता दें कि अभी कुछ महीने पहले ही एक हादसा हुआ था जिसमें एक अजीत दुबे नाम का मजदूर हादसे का शिकार हुआ था अभी उस हादसे का सदमा लोगों के जेहन से निकल भी नहीं पाया था कि फिर एक हादसा हो गया।फिलहाल इस हादसे की जांच पुलिस और NTPC प्रबंधन कर रही है आपको बता दें कि कल शाम की घटना है और NTPC प्रबंधन आज मौके पर पहुंच रहा है कहीं न कहीं NTPC  की घोर लापरवाही सामने आ रही है। NTPC मीडिया या पत्रकारों से हमेशा बचने का प्रयास करता है आज भी पत्रकारों को  मौके पर पहुचने से रोका जा रहा है। एक सवाल बार बार उठ रहा है कि आखिर कब रुकेगा हादसों का कहर,आखिर सुरक्षा में कैसे हो रही है चूक, कंपनी की लापरवाही से फिर बुझ गया एक घर का चिराग,उसके परिवार के दुःख को क्या कोई बाँट सकेगा?


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....