Tansen Samaroh 2023 : भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव “तानसेन समारोह” की आज रविवार 24 दिसंबर की सुबह पारंपरिक ढंग से शुरुआत हुई। ग्वालियर के हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मीलाद चादरपोशी और कव्वाली गायन के साथ पारंपरिक शुरुआत हुई।
आपको बता दें कि सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले तानसेन समारोह का इस साल 99वां वर्ष है। तानसेन समारोह का औपचारिक शुभारंभ आज शाम हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में ऐतिहासिक मानसिंह तोमर महल की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर होगा। इसी मंच पर बैठकर देश और दुनिया के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।
रविवार की सुबह तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खां एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत श्री सच्चिदानंद नाथ जी ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया।
ढोली बुआ महाराज ने राग ” बैरागी” में तुलसीदास जी द्वारा रचित भजन प्रस्तुत किया। भजन के बोल थे ” भजन बिन तीनों पन बिगड़े” । उन्होंने प्रिय भजन “रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम” का गायन भी किया। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न रागों में पिरोकर अन्य भजन भी गाये।
ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मीलाद शरीफ की तकरीर सुनाई। उन्होंने कहा सबसे बड़ी भक्ति मोहब्बत है। उनके द्वारा प्रस्तुत कलाम के बोल थे ” तू ही जलवानुमा है मैं नहीं हूँ”। अंत में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जदानशीन द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई।
इससे पहले जनाब फरीद खानूनी व जनाब भोलू झनकार एवं उनके साथी कब्बाली गाते हुये चादर लेकर पहुंचे। कव्वाली के बोल थे ”खास दरबार-ए-मौहम्मद से ये आई चादर’। तानसेन समारोह के पारंपरिक शुभारंभ मौके पर जिला प्रशासन के अधिकारी और स्थानीय कलाकार और शहर के गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट