निवाड़ी, मयंक दुबे। जेरोन के कोइली में खाकी का ऐसा रूप सामने आया है जिसने इंसान को अपने दृष्टिकोण पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। इस घटना ने न केवल पुलिस की सॉफ्ट कॉर्नर छवि को और प्रभावी बनाया है, बल्कि उन लोगों को भी आइना दिखाया जो निर्दयी होने की हदें पार कर रहे हैं। कोइली में शिकारी ने बरगद के पेड़ पर जाल बिछा दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने देखा कि जाल में फंसे पेड़ की डालियों पर नीलकंठ, तोता फंसकर तड़प रहे थे। कुछ ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया।
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जानकारी के मुताबिक निवाड़ी जिले में कोइली निवासी राकेश कुशवाह ने बरगद के पेड़ पर एक जाल बिछा दिया। उद्देश्य था उन मूक पक्षियों को पकड़ा जाए। अपनी मेहनत और समझ से अल्पायु का एक-एक दिन जैसे-तैसे गुजार रहे पक्षियों को पकड़ने के लिए बिछाए गए जाल में वह फंस भी गए। इस मामले की सूचना निवाड़ी के एसपी आलोक कुमार सिंह को मिली तो उनका भी हृदय पसीज गया। 45 डिग्री की गर्मी और चिलचिलाती धूप में जब इंसान घर से बाहर नंगे पैर नहीं निकल सकता। ऐसे में नाइलोन के जाल में फंसे उन पक्षियों की वेदना संवेदनशील एसपी ने तुरंत महसूस कर ली। उन्होंने तत्काल पृथ्वीपुर के एसडीओपी संतोष पटेल को घटना की जानकारी देकर मौके पर जाने के निर्देश दिए। जिस तरह किसी बड़ी वारदात की सूचना पर पुलिस बल रवाना होता है, उसी तरह एसडीओपी संतोष पटेल और थाना प्रभारी जेरोन सुरेंद्र यादव अपने अमले के साथ कोइली में घटनास्थल पर पहुंच गए।
ऐसा था मौके का नजारा
कोइली में तालाब के पास युवा अवस्था में खड़ा बरगद का पेड़ देखकर पुलिस अधिकारियों को थोड़ा सुकून महसूस हुआ। लेकिन जैसे ही उन्होंने इस पेड़ का मुआयना किया तो मन में वेदना के साथ पुलिस के दोनों ही रूप एक साथ जाग गए। मानवीय दृष्टिकोण की वजह से पक्षियों की दुर्दशा देखी नहीं जा रही थी और पुलिस की सख्त छवि बार-बार इस कृत्य को अंजाम देने वालों पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर रही थी। दरअसल, पेड़ की डालियों पर पड़े जाल में नीलकंठ, तोता जैसे मनोहारी पक्षी फंसकर तड़प रहे थे। कुछ ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया। जीवित बचे हुए पक्षियों को देखकर किसी को कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी कि वह मदद की गुहार लगा रहे हैं। पुलिस के एक आरक्षक आकाश ने तुरंत ग्रामीणों की मदद से बरगद के पेड़ का रुख किया और उसमें फंसे पक्षियों को निकालना शुरु कर दिया। इस दौरान 4 तोते जाल में फंसकर सूख चुके थे। साफ लग रहा था धूप और चिंता ने उनका यह हाल कर दिया है।
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आरोपी के खिलाफ की जा रही कार्रवाई
पक्षियों को मुक्त कराने के बाद पुलिस को जब यह पता चला कि राकेश कुशवाहा नामक व्यक्ति ने यह करतूत की है तो तुरंत ही वन विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया। जानकारी सामने आई है कि आरोपी के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कार्रवाई की जा रही है। पक्षियों और मानवता को जीवित रखने के इस अभियान में आरक्षक महेंद्र परिहार, आकाश रिछारिया, कुमान शानू, राजेंद्र मालवीय सहित वन विभाग के अमले का भी सराहनीय योगदान रहा।