Fire Accident : SDM के सरकारी आवास में लगी आग, सामान जलकर हुआ खाक

Sensational-case--Kalyugi-son-and-daughter-in-law-burn-mother-

उज्जैन,डेस्क रिपोर्ट। उज्जैन (ujjain) से सरकारी अधिकारी के आवास में आग लगने (Fire Accident) का मामला सामने आया है। 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद फायर ब्रिगेड की टीम (Fire Brigade Team) ने आग पर काबू पाया। इस अग्निकांड (Fire Accident) में करीब 2 लाख रुपए का नुकसान (loss) हुआ है। इस हादसे में किसी की भी जान को कोई हानि नहीं पहुंची है। अग्निकांड (Fire Accident) का यह पूरा मामला उज्जैन के तराना तहसील का है,जहां गुरुवार को तराना एसडीएम एकता जायसवाल (Tarana SDM Ekta Jaiswal) के सरकारी आवास (Government house) मे आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि फायर ब्रिगेड को बुझाने में करीब 2 घंटे की मशक्कत लगी।  सरकारी आवास में जब आग लगी थी उस वक्त एसडीएम एकता (SDM EKta) अपने बच्चों के साथ उज्जैन गई हुई थी।

इस पूरे मामले को लेकर एसडीएम एकता जयसवाल का कहना है कि वह किसी सरकारी काम के चलते हैं अपने बच्चों के साथ गुरुवार दोपहर को उज्जैन आई थी। अपना काम निपटाने के बाद वह अपने रिश्तेदारों से मिलने उनके घर चली गई थी, उनका रात का खाना खाकर तराना लौटने का प्लान था। एसडीम एकता बताती है कि करीब 8:00 बजे उनके पास उनके चपरासी का फोन आया था, जिसने घर में आग लगने की सूचना दी। वही अग्निकांड की सूचना तुरंत फायर ब्रिगेड को भी दी गई, जिसके बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम पूरी मशक्कत से आग बुझाने में जुट गई। करीब 2 घंटे की मेहनत के बाद आग पर काबू पाया गया और रात 10 बजे तक एसडीएम भी तराना पहुंच गई थी।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।