Ujjain : पतंगों से सजा बाबा महाकाल का दरबार, शिप्रा घाट पर दिखा कोरोना का खौफ

उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत देश का प्रमुख त्योहार है, इसे पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार पौष मास में जब सूर्य (Sun) मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है, तब इस पर्व को मनाया जाता है। इसी पावन पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर उज्जैन (Ujjain) की मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी (Mokshadayini Shipra River) में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर सभी पतंगबाजी (Kite flying) का आनंद लेते हैं। इसी के चलते बाबा महाकाल (Baba Mahakal) के दरबार को भी पतंगों से सजाया गया, लेकिन कोरोनावायरस (Coronavirus) और बढ़ती ठंड के चलते श्रद्धालुओं की कमी देखी गई।

श्रद्धालुओं ने शिप्रा नदी में लगाई आस्था की डुबकी


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।