उज्जैन में हुई पारंपरिक नगर पूजा, देवी महामाया और महालाया को लगाया गया मदिरा का भोग

Diksha Bhanupriy
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nagar puja

Nagar Puja Ujjain: नवरात्रि के मौके पर उज्जैन के देवी और भैरव मंदिरों में विशेष पूजन अर्चन की जाती है और कई धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। यहां शक्तिपीठ हरसिद्धि समेत कई अन्य देवी मंदिर हैं, जिनकी मान्यताएं और चमत्कार भक्तों की आस्था का केंद्र है। ऐसे ही महाकाल मंदिर के समीप चौबीस खंबा माता मंदिर है, जहां नवरात्रि की अष्टमी पर विशेष पूजन की जाती है और ये नगर पूजन कहलाती है।

उज्जैन में हुई नगर पूजा

आज अष्टमी के दिन भी यही नजारा देखने को मिला जब 24 खंबा पर विराजित देवी महामाया और महालाया को पूजन अर्चन के साथ मदिरा की धार अर्पित की गई। दोनों माताओं को चढ़ाई गई मदिरा की ये धार 27 किमी तक जाती है और इस बीच जितने देवी और भैरव मंदिर आते हैं सबको भोग लगाया जाता है। ये पूजा नगर का राजा करता है इसलिए आज कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने पुजारियों, संतों, अधिकारी, कर्मचारी, कोटवारों की मौजूदगी में ये पूजन संपन्न की ओर 27 किमी लंबी नगर पूजन पर रवाना हुए।

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राजा विक्रमादित्य ने शुरू की थी परंपरा

मान्यताओं के मुताबिक महाअष्टमी पर नगर पूजा की परंपरा सम्राट विक्रमादित्य ने शुरू की थी। उसके बाद से ये लगातार चली आ रही है और अब नगर का राजा यानी कलेक्टर इस परंपरा का निर्वहन करता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस पूजन से देवी मां शहर की बुरी चीजों से रक्षा करती हैं और शहर वासियों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

हरसिद्धि में भी शासकीय पूजन

आज दोपहर 12 बजे हरसिद्धि मंदिर में भी शासकीय पूजा का आयोजन किया जाएगा। यह पूजन कलेक्टर के हाथों संपन्न होगी। जहां माता को चुनरी, श्रृंगार सामग्री, फल और नैवेद्य अर्पित किए जाएंगे और इसके पश्चात आरती होगी। हरसिद्धि में सात्विक पूजन का महत्व काफी ज्यादा है इसी के चलते यहां पर हवन का आयोजन होगा, जिसमें आम श्रद्धालु भी आहुति दे सकते हैं।

27 किलोमीटर की यात्रा में 40 मंदिरों का पूजन

चौबीस खंबा माता मंदिर में पूजन के पश्चात शासकीय दल नगर पूजन के लिए निकल चुका है। जिसमें ढोल धमाके के साथ सारे सदस्य 12 घंटे तक 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले भूखी माता मंदिर, चामुंडा माता मंदिर, काल भैरव, चंड मुंड नाशिनी समेत करीब 40 देवी और भैरव मंदिरों में मदिरा की धार चढ़ाएंगे।

इसी के साथ रास्ते में पड़ने वाले हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है और रात 8 बजे गढ़कालिका माता मंदिर में पूजन के बाद पास में स्थित हांडी फोड़ भैरव पर यात्रा संपन्न होती है। इस दौरान बड़ी संख्या में नगरवासी इस यात्रा में शामिल होते हैं।


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