उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। उज्जैन महाकाल मंदिर में 2100 साल प्राचीन मंदिर की दीवार के अवशेष मिले है। इनमें 1100 साल पुराने खंड और मूर्तिया भी शामिल हैं। यहां प्राचीन अवशेष होने की जानकरी पहले भी कई पुरातत्वविद देते रहे हैं लेकिन बीते एक साल से अधिक समय से महाकाल मंदिर में चल रहे विस्तारीकरण के कार्यो के लिए खोदी गयी मंदिर की जमीन अब प्राचीन मंदिर के अवशेष का इतिहास खोलने लगी है।
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दो दिन पहले महाकाल मंदिर के अग्र भाग में मिली माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड की जानकरी जैसे ही संस्कृति विभाग को लगी उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग भोपाल की एक चार सस्दय टीम को उज्जैन महाकाल मंदिर में अवलोकन के लिए भेजा। इसके बाद बुधवार को उज्जैन पहुंची टीम ने बारीकी से मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरक्षण किया। टीम को लीड कर रहे पुरातत्वीय अधिकारी डॉ रमेश यादव ने बताया की ग्यारहवीं, बारहवीं शताब्दी का मंदिर नीचे दबा हुआ है जो की उत्तर वाले भाग में है। वहीं दक्षिण की ओर चार मीटर नीचे एक दीवार मिली है जो करीब करीब 2100 साल पुरानी हो सकती है। अब टीम इसकी रिपोर्ट तैयार कर संस्कृति मंत्रालय को सौंपेगी।
महाकाल मंदिर में तेज गति से चल रहे विस्तारीकरण कार्यो में उस समय ब्रेक था लगा जब 2020 में महाकाल मंदिर में करीब 1000 साल पुराने अवशेष मिले थे। मंदिर के अग्र भाग में बन रहे विश्राम भवन के लिए खुदाई के काम के दौरान अवशेष सामने आये थे जिसके बाद काम को रोका गया था। इसके बाद पुरातत्व विभाग और आर्क्यलॉजी की टीम ने महाकाल मंदिर में आकर अवशेषों को देखा था। लेकिन सोमवार की शाम को मिले अवशेषों के बाद संस्कृति मंत्रालय के आदेश पर भोपाल संचनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के चार सदस्य डॉ रमेश यादव (पुरातत्वीय अधिकारी), डॉ धुवेंद्र सिंह जोधा (शोध सहायक), योगेश पाल (पर्यवेक्षक) और डॉ राजेश कुमार आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने बुधवार को मंदिर में जाकर बारीकी से निरीक्षण किया। डॉ यादव ने बताया की 12 शताब्दी का मंदिर दबा हुआ है ऐसा प्रतीत हो रहा है जो की मंदिर के उत्तर वाले भाग में स्थित है। 1100 वर्ष पुराने अवशेष भी दबे हुए पाए गए। उसमें स्तम्भ खंड, शिखर के भाग, रथ के भाग सहित अन्य स्थापत्य खंड मिले हैं। कुछ दिन पूर्व भी मंदिर की सरंचना प्रकाश में आयी थी लेकिन बड़ी बात ये कि दक्षिण की तरफ सरफेस से चार मीटर की गहराई पर एक दीवार के अवशेष मिले है जो की विक्रमदित्य काल के हैं और करीब 2100 साल पुराने प्रतीत हो रहे हैं।
डॉ रमेश यादव ने कहा कि महाकाल में चल रहे खुदाई के कार्य को अब जानकारों के निरीक्षण में करने की जरुरत है। यहां पुरातत्व के बड़े अवशेष भी मिल सकते हैं। हालांकि पूरी रिपोर्ट में मंत्रालय को पेश करेंगे और आने वाले दिनों में पूरे कार्य की रिकॉर्डिंग कराई जायेगी। इधर भोपाल निवासी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक रहे सेवा निवृत डॉ नारायण व्यास ने भी माना की पूरे महाकाल वन की खुदाई की जानी चाहिए। अभी जो एविडेंस मिले वो ईसा पूर्व हो सकते हैं। साइंटिफिक पद्दति से स्टडी करवाने की जरुरत है क्योंकि महाकाल मंदिर में वर्ड हेरीटेज मॉन्यूमेंट मिलने की भी संभावना है।