उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। उज्जैन (Ujjain) में आज एक अद्भुत नजारा देखने को मिलने वाला है। यहां पर आज रात हरि से हर का मिलन (Harihar Milan) होगा। प्रजा के सामने आज हर यानी भगवान महाकालेश्वर हरि यानी द्वारकाधीश को सृष्टि का भार वापस सौंप देंगे। साल भर में एक बार यह अनुपम दृश्य देखने को मिलता है।
कथाओं के मुताबिक देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक का समय ऐसा होता है जब भगवान विष्णु सृष्टि का भार भोलेनाथ को सौंपकर पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने के लिए जाते हैं। इस पूरे समय में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों होता है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का विश्राम खत्म होता है, जिसके बाद शिव उन्हें सृष्टि का भार वापस सौंप देते हैं। आज रात 11 बजे भगवान महाकालेश्वर अपनी पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर पहुंचकर द्वारकाधीश को सृष्टि का भार वापस सौंप देंगे।
Must Read- Mandi Bhav: इंदौर में आज अनाज और सब्जी के दाम, देखें 6 नवंबर 2022 का मंडी भाव
दोनों देवताओं के मिलन का ये नजारा वर्ष में एक बार बैकुंठ चतुर्दशी के दिन उज्जैन में देखने को मिलता है। हरि को सत्ता का भार सौंपकर भगवान शिव अपनी तपस्या के लिए कैलाश लौट जाते हैं, जिसे हरिहर मिलन के नाम से जाना जाता है। कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।
आज रात 11 बजे महाकालेश्वर मंदिर से निकलकर सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर जाएगी। जिसके बाद परंपरा अनुसार पूजन अर्चन किया जाएगा। इस दिन बाबा महाकाल को भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी की माला और श्री विष्णु को बाबा महाकाल के प्रिय बिल्वपत्र की माला अर्पित की जाती है। साथ ही दोनों देवताओं को एक दूसरे की प्रिय वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। 2 देवताओं के अद्भुत मिलन की ये परंपरा वैष्णव और शैव संप्रदाय की एकता और सौहार्द का प्रतीक मानी जाती है।
हरिहर मिलन की इस अद्भुत रात में पूरे सवारी मार्ग में जमकर आतिशबाजी की जाती है। हजारों की संख्या में भक्त हरिहर मिलन देखने के लिए एकत्रित होते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से इस बार पुलिस प्रशासन की ओर से हिंगोट और किसी भी प्रकार की आतिशबाजी करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए गए हैं।