उमरिया, कौशल विश्वकर्मा। जिले में एक आदिवासी परिवार पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया। इन्होने प्रशासन पर अनदेखी व पक्षपात का आरोल लगाया है। कार्यकर्ता सैकड़ों की संख्या में दिन भर डटे रहे, प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का खुलेआम उल्लंघन हुआ और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बने रहेl
उमरिया जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर तमन्नारा गांव में एक आदिवासी परिवार के घर व दुकान प्रशासन द्वारा हटाए गए। इस अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के बाद स्थानीय लोग व गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता इकट्ठा हो गए और प्रशासन पर आदिवासी चैन सिंह द्वारा सरकारी जमीन में बनाए गए घर वा दुकान को तोड़े जाने का विरोध करने लगे। उनका आरोप था कि प्रशासन सिर्फ चैनसिंह का अतिक्रमण हटाकर पक्षपात व द्वेषपूर्ण कार्रवाई कर रहा है, जबकि अन्य अतिक्रमण नहीं हटाए गए हैं। उनका कहना है कि चैन सिंह का परिवार उसी छोटी सी दुकान से अपने परिवार का पालन पोषण करता था। दुकान टूट जाने से उसे अब रोजी रोटी का भी संकट पैदा हो गया है। शनिवार को दिनभर विरोध प्रदर्शन करते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन गरीब आदिवासी पर ही कार्रवाई करता है, जबकि कई अतिक्रमण दबंगों द्वारा किए गए हैं।
इनका कहना है कि जिले में विधायक व मंत्री आदिवासी होने के बावजूद भी एक आदिवासी परिवार पर प्रशासन की यह कार्रवाई उनके मुंह में तमाचा है। मंत्री व विधायक हमेशा दबंगों के चंगुल में फंसे रहते हैं और उन्हें आदिवासी भाइयों के हित से कोई सरोकार नहीं। इस बीच एकत्रित भीड़ ने कोरोना गाइडलाइन की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई और इनका कहना है कि ये कोरोना बीमारी को भी नहीं मानते हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने पुलिस व प्रशासन को मौके पर तैनात किया था। वहीं बिना परमिशन के सैकड़ों की संख्या में जुटे लोग दिनभर प्रदर्शन करते रहे और कोरोला गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाते रहे। इन्होने ना तो मास्क का उपयोग किया गया और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। प्रशासन भी दिन भर उनके इस प्रदर्शन को मूकदर्शक बनकर देखता रहा। मीडिया द्वारा सवाल उठाए जाने पर कहा जा रहा कि वीडियो रिकॉर्डिंग की से जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं प्रदर्शनकारियों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन की भी जांच करा कर कार्रवाई करने की बात कही गई है।
गौरतलब है कि पूर्व से घोषित इस प्रदर्शन को लेकर प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रशासन से बाकायदा अनुमति मांगी गई थी, लेकिन कोरोना के मद्देनजर उन्हें अनुमति नहीं दी गई। फिर भी वे इतनी बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा करना और कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं करने के बाद भी प्रशासन दिनभर उनके इस विरोध प्रदर्शन को देखकर नजरअंदाज करना कहीं न कहीं प्रशासनिक अक्षमता की पोल भी खोलता हैl