इंसान और हाथी के बीच कैसे समन्वय स्थापित हो, कार्यशाला में हुआ मंथन, दक्षिण भारत से लौटे दल ने बताये अनुभव

मध्य प्रदेश से एक दल को दक्षिण भारत के तमिलनाडु और कर्नाटक भेजा था क्योंकि इन राज्यों में काफी संख्या में हाथियों की मौजूदगी है।

Atul Saxena
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Bandhavgarh Tiger Reserve Umaria: हाथियों की लाइफ स्टाइल और उनके मानव यानि इंसान के साथ रहने के गुर सीखने दक्षिण भारत गए मध्य प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों की वापसी के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई , कार्यशाला में प्रशिक्षण लेकर लौटे अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किये।

उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में आज PCCf वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन की मौजूदगी में वाइल्ड एलीफेंट मैनेजमेंट को लेकर संजय टाइगर रिज़र्व, बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व, उमरिया, शहडोल, कटनी, अनूपपुर, सीधी सामान्य वन मंडल की टीम को आज एक दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया।

मानव हाथी द्वंद को रोकने की कवायद 

PCCF वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन ने जानकारी देते हुए बताया कि बांधवगढ़ सहित समूचे मध्य प्रदेश में हाथियों की आमद मध्य प्रदेश वासियों सहित वन अमले के लिए भी एक नया मामला है। हमारा प्रयास है कि मानव हाथी द्वंद को रोके जाने के साथ साथ जंगली हाथियों का भी संरक्षण और संवर्धन हो इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बीते 3 वर्षों से सतत प्रयास जारी है।

हाथियों का व्यवहार समझने दक्षिण भारत गया था एमपी का दल 

उन्होंने बताया कि हाथियों के प्रबंधन के लिए हमने मध्य प्रदेश से एक दल को दक्षिण भारत के तमिलनाडु और कर्नाटक भेजा था क्योंकि इन राज्यों में काफी संख्या में हाथियों की मौजूदगी है। इन राज्यों में इन वाइल्ड एलिफेंट को कैसे मैनेज किया जाता है। इस विषय का अध्ययन करने के लिए सीएम के निर्देश के बाद मध्य प्रदेश से दल भेजा गया था।

कार्यशाला में हाथियों के व्यवहार को समझने पर फोकस  

उस दल के माध्यम से आज की कार्यशाला में उनके अनुभवों को बताने के लिए आसपास के टाइगर रिजर्व सहित सामान्य वन मण्डल की टीम की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के माध्यम से छत्तीसगढ़ के रास्ते मध्य प्रदेश में आने वाले वाइल्ड एलिफेंट को लेकर इस कार्यशाला में विस्तृत परिचर्चा की जा रही है। जिससे हम जंगली हाथियों के व्यवहार को और उनके इंसान के साथ रिश्ते को समझ सकें जिससे हम उनका प्रबंधन अच्छे से कर सकें जिससे भविष्य में जान माल का नुकसान रोका जा सके।

उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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