ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior) में पिछले तीन दिनों से रुक रुक कर हो रही हो रही बारिश (Rain) ने मौसम को सुहाना बना दिया है। लोगों को जहाँ गर्मी से राहत मिली है वहीँ भू जलस्तर (Groundwater Level) के बढ़ने की आस भी जाग गई है। उधर सुहाने हुए मौसम (Weather) का लुत्फ़ उठाने के लिए लोग घरों से निकल आये हैं। बारिश से शहर के बीचों बीच स्थित रियासतकालीन बैजा ताल भर गया है यहाँ सैलानी पहुंचकर बारिश के बीच बोटिंग और सेल्फी का आनंद ले रहे हैं।
वैसे तो ग्वालियर शहर के आसपास कई स्थान ऐसे हैं जहाँ बारिश के मौसम में लोग परिवार सहित घूमने जाते हैं लेकिन कुछ साल पहले सुल्तानगढ़ के झरने में हुए हादसे के बाद से लोगों ने वहां जाना बंद कर दिया वहां स्थाई सुरक्षा व्यवस्था लगा दी गई है वहीँ पिछले दिनों धूमेश्वर धाम में सिंध नदी में डूबने से हुई दो छात्रों की मौत को भी लोग अभी भूले नहीं हैं। इसलिए ग्वालियर के लोग सुरक्षित स्थान पिकनिक और परिवार के साथ मस्ती के लिए तलाशते हैं।
बारिश के मौसम में कुछ लोग तिघरा डेम की तरफ पिकनिक के लिए जा रहे हैं तो कुछ लोग शहर के बीचों बीच मोतीमहल परिसर में स्थित सिंधिया रियासत के समय बने बैजा ताल पर पहुँच रहें हैं। यहाँ पहुँचने वालों में युवाओं की संख्या अधिक हैं। बैजा ताल पर बने तैरते रंगमंच पर बारिश के बीच युवा खूब आनंद ले रहे हैं, दोस्तों के साथ बोटिंग कर रहे हैं और छतरियों के बीच से इस मनोहारी दृश्य की सेल्फी ले रहे हैं।
दर असल नगर निगम ने बैजा ताल को आकर्षक लाइटिंग फब्बारों से सजाया है, इसमें बोटिंग भी कराई जाती है। शहर के बीच और सुरक्षित होने से लोग बैजा ताल की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और मौसम का मजा ले रहे हैं।
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....