चेतावनी: कपड़े पर GST की बढ़ी दर वापस नहीं हुई तो किसान आंदोलन की तर्ज पर होगा विरोध

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। यदि आप कपड़ा पहनने के शौक़ीन हैं तो नए साल में थोड़ा संभल कर रहिये क्योंकि ये आपकी जेब पर भारी पड़ने वाला है। केंद सरकार ने कपड़े पर GST की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी है। पूरे देश के साथ मध्य प्रदेश में भी इसका विरोध हो रहा है। ग्वालियर में भी कपड़ा व्यापारियों ने अपनी दुकाने और शोरूम बंद रखकर इसका विरोध जताया। व्यापारियों ने बैठक कर चेतावनी दी कि सरकार ने यदि GST की बढ़ी हुई दर वापस नहीं ली तो व्यापारी किसान आंदोलन की तर्ज पर सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।

कपडे पर लगने वाली  GST को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किए जाने के विरोध में “मप्र जीएसटी संघर्ष समिति, इन्दौर”  के आव्हान पर आज गुरुवार को प्रदेशभर के कपड़ा एवं रेडीमेड व्यवसाईयों द्वारा अपने कारोबार को बंद रखकर, व्यापारिक एकता का संदेश दिया। बंद के आव्हान का मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ़ कॉमर्स ग्वालियर ने समर्थन करते हुए ग्वालियर-चंबल संभाग सहित सम्पूर्ण मप्र के कपड़ा व रेडीमेड के व्यवसाईयों से अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखने की अपील की थी, जिसका प्रभाव आज देखने को मिला ।

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पूरे दिन की गतिविधियों को देखने के बाद गुरुवार शाम मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ़ कॉमर्स ग्वालियर के सभागार में व्यापारियों की के बड़ी बैठक का आयोजन किया गया।  बैठक की अध्यक्षता कर रहे मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ़ कॉमर्स ग्वालियर (MPCCI Gwalior) के अध्यक्ष विजय गोयल एवं बैठक का संचालन कर रहे मानसेवी सचिव डॉ प्रवीण अग्रवाल ने जीएसटी की दरों में 7 प्रतिशत की वृद्धि के विरोध में सम्पूर्ण प्रदेश के कपड़ा एवं रेडीमेड व्यवसाईयों द्वारा आज किए गए सफल बंद के लिए सभी व्यवसाईयों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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विजय गोयल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कपड़ा एवं 1000 से कम कीमत के जूते पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत  से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किए जाने का निर्णय राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है। उन्होंने कहा कि जब भी व्यवसाईयों पर कोई संकट आया है चेंबर ने आगे आकर आंदोलनों को लीड किया है और यह कार्य आगे भी जारी रहेगा, परन्तु हमें कल जीएसटी काउंसिल की आयोजित होने वाली बैठक का इंतजार करना चाहिए और यदि इस बैठक में कपड़ा एवं 1000 से कम कीमत के जूते पर जीएसटी की दर को कम नहीं किया जाता है, तो पुनः हम सभी एक बैठक आयोजित करेंगे और उसमें आंदोलन की रणनीति को अंतिम रूप देंगे।

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मानसेवी सचिव डॉ प्रवीण अग्रवाल ने व्यवसाईयों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें इस आंदोलन में  “म. प्र. जीएसटी संघर्ष समिति, इन्दौर” द्वारा जो निर्णय लिया जाए, उसे फॉलो करना चाहिए। पृथक से आन्दोलन नहीं करना चाहिए ।उन्होंने कहा कि जब हम सभी मिलकर, एक रूपरेखा व रणनीति के साथ आंदोलन करेंगे, तब उसके परिणाम अवश्‍य ही सकारात्मक सामने आएंगे। हम सभी को किसान आंदोलन से सबक सीखना चाहिए। किसानों की एकता व आंदोलन के सामने, सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा। यदि सरकार द्वारा कल आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में कपड़ा एवं रेडीमेड से जीएसटी की दरें पुनः 5 प्रतिशत किए जाने का निर्णय नहीं लिया जाता है, तब हमें सड़कों पर आकर आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा । साथ ही, अगली बैठक में हम सभी को अपने साथ तीन-चार व्यवसाईयों को साथ में लाना होगा, आज की बैठक में हमें यह संकल्प लेना होगा।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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