दमोह : ऑपरेशन के बाद महिलाओं को नसीब नहीं हुआ स्ट्रेचर, गोद में उठाकर ले जाते नजर आए परिजन

दमोह/बटियागढ़, गणेश अग्रवाल। स्वास्थ्य विभाग (health department) कोरोना (corona) के प्रति कितना सजग और मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर कितना संवेदनहीन है,  इसका नजारा दमोह (Damoh) जिले के बटियागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में देखने को मिला, जहां नसबंदी के लिए आई महिलाओं को आपरेशन के बाद स्ट्रेचर (Stretcher)  तक नसीब नहीं हुआ। महिलाओं को उनके परिजन अपनी गोद में उठाकर ले जाते हुए नजर आए।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।