दरअसल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने 9 जिले में राजनीतिक रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया है। जिसके बाद बीजेपी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने कहा था कि वह हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। अब चुनाव आयोग भी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सोच रहा है।
वहीं इससे पहले दो प्रत्याशी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। भाजपा प्रत्याशी प्रद्युमन सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) और मुन्ना लाल गोयल (Munna Lal Goyal) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की विशेष अनुमति याचिका दायर कर आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। इस मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने चुनाव आयोग द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने की पुष्टि की है।
बता दें कि उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने राजनीतिक दल को सार्वजनिक समारोह के लिए अनुमति नहीं देने के आदेश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि उम्मीदवार को यह साबित करना होगा के वीडियो के माध्यम से चुनाव नहीं कर सकते हैं। इसी के साथ कोर्ट ने यह भी कहा था कि उम्मीदवार को सभा आयोजित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के पास पर्याप्त धनराशि जमा करनी होगी।
जिसके बाद एक तरफ चुनाव आयोग को लगता है कि उच्च न्यायालय ने उनकी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के दोनों नेता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ऐसा आदेश देने का अधिकार कोर्ट के पास नहीं है। यह काम चुनाव आयोग को करना चाहिए। वही याचिका में 23 अक्टूबर को तत्काल सुनवाई की मांग की गई है।
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बता दें कि मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सबसे अधिक 16 सीट ग्वालियर-चंबल इलाके में है। इस वजह से ऐसे आदेश से जहां एक तरफ राजनीतिक दलों को चुनाव परिणाम में काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुन्नालाल गोयल, प्रद्युमन सिंह तोमर ने अपनी ओर से दायर याचिका में तर्क दिया है कि ऐसा आदेश देकर हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर का कार्य किया है।
जिसके बाद लगातार चुनाव आयोग के द्वारा चुनावी प्रक्रिया के सवाल पर अब चुनाव आयोग भी उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए तैयार हो रहा है। जानकारी के मुताबिक अभी अधिकारियों की चर्चा बैठक चल रही है। जिसके बाद जल्द ही इस मामले पर चुनाव आयोग द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।