उपचुनाव 2021 : मध्य प्रदेश की इस सीट पर रहा नोटा का दबदबा, तीसरे स्थान पर बनाई जगह।

Gaurav Sharma
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अलीराजपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में हुए उपचुनावों के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिवाली से पहले ही बड़ा तोहफा दे दिया है। चार में से तीन सीटों पर जीत के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता फूले नहीं समा रहे हैं। खंडवा, जोबट और पृथ्वीपुर में मिली शानदार जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के इरादे 2024 के चुनाव में जीत को लेकर और मजबूत हो गए हैं।

उपचुनाव 2021 : मध्य प्रदेश की इस सीट पर रहा नोटा का दबदबा, तीसरे स्थान पर बनाई जगह।

बीजेपी के तीन सीटों पर जीत के अलावा जो इस बार देखने लायक बात सभी के सामने आई वो थी अलीराजपुर जिले की जोबट सीट के परिणाम। इस सीट पर रही बीजेपी की सुलोचना रावत 6104 वोटों से विजयी रही, वहीं कांग्रेस के महेश पटेल दूसरे स्थान पर रहे। पर सबसे मजेदार बात जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा वो थी तीसरी स्थान पर रही NOTA (none of the above)। बात करें NOTA की तो तो 5611 वोटों के साथ यह तीसरे स्थान पर रहा।

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परिणाम आने के बाद चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि अब अनुसूचित जाति के लोग पहले से ज्यादा जागरूक हो चुके हैं, वे जानते हैं की उन्हें उनके मताधिकार का उपयोग कैसे करना है। समाज के पढ़े और जागरूक लोग अब अपने अधिकारों  का इस्तेमाल करना सीख चुके हैं। वे अब उम्मीदवार को नहीं उम्मीदवार की योग्यता को देखकर वोट करते हैं।

इलाके के आदिवासी संगठनों की बात मानें तो उनका कहना है कि अब हमें एक ऐसी पार्टी की आवश्यकता है जो हमारे मुद्दों पर चर्चा करे और उनका समाधान करे, पर कांग्रेस और बीजेपी हमारे मुद्दों को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं दिखाई देती हैं। इसलिए सभी के द्वारा nota का चुनाव किया गया है।

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जहां एक ओर संगठनों ने अपनी बात रखकर nota बटन दबाने की वजह बताई वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इसे अधिकारियों की कांग्रेस के खिलाफ षडयंत्र बताया। कांग्रेस का कहना है कि अधकिरियों ने जानबूझकर कांग्रेस के वोटों को nota की तरफ मोड़ दिया। उन्होंने ने कहा कि मशीन में पहला बटन कांग्रेस का है और आखरी बटन नोटा का, ऐसे में जब आम इंसान वोटिंग अधिकारी से पूछते थे की कौनसा बटन दबाएं, तब वे कहते थे पहला। पर लोगों को ये नही बताया गया की ऊपर से पहला या नीचे से पहला। इन बातों का खण्डन करते हुए बीजेपी का कहना है कि नोटा का तीसरे स्थान पर आना साफ दर्शाता है कि लोग कांग्रेस से खुश नहीं हैं और इसलिए उनके द्वारा नोटा का चयन किया गया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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